नागपुर: आदिम हलबा कृति समिति का श्रृंखलाबद्ध अनशन शुरू, 33 आदिम जनजाति को मिला है संवैधानिक दर्जा

  • आदिम हलबा समाज के पुराने अभिलेख में कोष्टी व्यवसाय का उल्लेख
  • श्रृंखलाबद्ध अनशन शुरू

Bhaskar Hindi
Update: 2023-12-04 14:20 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. आदिम हलबा समाज के पुराने अभिलेख में कोष्टी व्यवसाय का उल्लेख है। उसे दुरुस्त कर आरक्षण के दायरे में लाने की मांग को लेकर गोलीबार चौक में आदिम कृति समिति ने श्रृंखलाबद्ध अनशन शुरू किया है। महाराष्ट्र में 45 जनजाति में क्षेत्र बंधन के बाहर की हलबा, माना, गोवारी, धनगर, धोबी, कोली, मानेवारलू व ठाकुर जनजाति के साथ 33 आदिम जनजाति को 25 जुलाई 1976 को संवैधानिक दर्जा दिया गया। उस तारीख से जाति व रहिवासी पुरावे के आधार पर जाति वैधता प्रमाणपत्र देने, लोकसभा व विधानसभा की तर्ज पर स्थानीय निकाय चुनाव में वैधता प्रमाणपत्र न मांगने, अधिसंख्य कर्मचारियों को नियमित लाभ देने, महाराष्ट्र में जातिवार जगणना, हलबा बेरोजगार युवाओं के लिए 1 हजार करोड़ का महामंडल स्थापित करने की मांगों को लेकर अनशन शुरू किया गया है।

समिति का दावा है कि गोंड राजा ने नागपुर शहर बसाया, तबसे आदिम हलबा समाज की बस्ती है। आदिम हलबा आदिवासी मूल निवासी हैं। विदर्भ में आजादी के पहले से लाखों की संख्या में हलबा समाज रहता है। कोष्टी (विणकर/बुनकर) व्यवसाय उनकी पहचान है। सीपी एंड बेरार में हलबा समाज का अस्तित्व के साल 1827 से ऐतिहासिक पुरावे है। सन 1881 से जनगणना रिपोर्ट, समाज शास्त्रीय अभ्यास, शासन अधिसूचना, अंग्रेजों ने हलबा जनजाति का किया मानव वंश अभ्यास, जन्म-मृत्यु कानून, पंजीकरण कानून अनुसार विदर्भ में कोष्टी व्यवसाय से जुड़े समुदाय को हलबी माना गया है। मध्य प्रांत व बेरार क्षेत्र के पुराने अभिलेख में हलबा जनजाति के कोष्टी व्यवसाय का उल्लेख है। उपलब्ध कागजी पुरावों को दरकिनार कर आदिम हलबा समाज को आरक्षण से वंचित रखकर धोखेबाजी किए जाने के विरोध में लड़ाई लड़ी जा रही है।

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