पहल: वायरस ट्रेकिंग बढ़ाने के प्रयास , नागपुर में बनेगा विश्व का पहला डब्ल्यूएचओ सेंटर
- 26 और 27 मार्च को मुख्यालय में "कोविनेट' बैठक
- नीरी के वैज्ञानिक करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व
- पूरे देश में प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और वेस्ट वाटर मॉनिटरिंग के और केन्द्र बनेंगे
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना महामारी से हर कोई परिचित है। इसके रोकथाम में देश के वैज्ञानिकों के योगदान की हर कोई सराहना करता है। इसके मद्देनजर 26 और 27 मार्च को जिनेवा ने अपने मुख्यालय में "कोविनेट' बैठक का आयोजन किया है। यह अपनी तरह की पहली बैठक है जिसमें एसएआरएस-कोवी2 वेरिएंट और अन्य वायरस ट्रैकिंग बढ़ाने के प्रयास पर चर्चा की जाएगी। इस चर्चासत्र के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने विभिन्न देशों की कुछ संदर्भ प्रयोगशालाओं में से नागपुर की राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (नीरी) को चुना है जो उपराजधानी के लिए गर्व की बात है।
प्रमुख वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ. कृष्णा खैरनार के नेतृत्व में नीरी के पर्यावरण महामारी विज्ञान और महामारी प्रबंधन (ईईपीएम) प्रभाग कोएसएआरएस-कोवी2 का पता लगाने में महत्वपूर्ण ब्लाइंड स्पॉट की पहचान करने के लिए पर्यावरण और अपशिष्ट जल निगरानी (वेस्ट वॉटर मॉनिटरिंग) में विशेषज्ञता साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया है। डॉ. खैरनार ने बताया कि पहली कोविनेट बैठक के बाद, नोवल कोरोना वायरस के लिए वेस्ट वाटर मॉनिटरिंग पर विशेष ध्यान देने के साथ "डब्ल्यूएचओ सेंटर' शुरू करेंगे। यह दुनिया का पहला सेंटर होगा और बाद में पूरे भारत में प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और वेस्ट वाटर मॉनिटरिंग के लिए और अधिक केंद्र तैयार किए जाएंगे।
"कोविनेट' का उद्देश्य : डॉ. खैरनार ने बैठक के बारे में बताते हुए कहा, "बैठक का उद्देश्य वैश्विक विशेषज्ञता और क्षमता, सटीक जांच और निगरानी, एसएआरएस-कोवी2 का जीनोटाइपिक और फेनोटाइपिक मूल्यांकन, नोवल कोरोना वायरस के सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व की सुविधा प्रदान करना है। डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य कोविनेट के माध्यम से सटीक डायग्नोसिस और समय पर जोखिम मूल्यांकन के साथ भविष्य के सभी वेरिएंट पर नजर रखना है। चूंकि महामारी कम हो गई है और बड़े स्तर पर परीक्षण नहीं हो रहा है। इसलिए जब हमारे पास अध्ययन के लिए अधिक क्लिनिकल सैंपल नहीं होते हैं, तो वेस्ट वाटर की निगरानी महत्वपूर्ण हो जाती है, जिससे रोगजनक के कम्युनिटी स्प्रेड का जल्द पता लगाने में मदद मिलेगी।' डॉ. खैरनार ने बताया कि डब्ल्यूएचओ एसएआरएस-कोवी2 से संबंधित प्रयोगशाला नेटवर्क (कोविनेट) की संरचना में बदलाव कर रहा है, जिसे कोविड-19 महामारी के शुरुआती दिनों के दौरान स्थापित किया गया था। "कोविनेट' वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के माध्यम से संचालित किया जाएगा।'