एनआईटी नागपुर: नया पेंच - सैकड़ों प्लॉट धारकों के दस्तावेज रजिस्टर्ड ही नहीं
- 14 हजार से अधिक आवेदन रिजेक्ट किए
- सैकड़ों प्लॉट धारकों के दस्तावेज रजिस्टर्ड ही नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर. गुंठेवारी कानून के तहत अनधिकृत ले-आउट नियमितीकरण करने की प्रक्रिया में अब नया पेंच आ गया है। नागपुर सुधार प्रन्यास ने अनधिकृत ले-आउट को नियमित करने का निर्णय लिया था, जबकि आरएल के लिए आवेदन प्लॉट धारकों से स्वीकार किए गए थे। अर्थात ले-आउट तैयार करने वाले अनेक डेवलपर्स द्वारा ले-आउट नियमितीकरण के लिए आवेदन ही पेश नहीं किए गए। दूसरी ओर प्लॉट धारकों ने प्लॉट नियमितीकरण के लिए आवेदन पेश किए, लेकिन इन आवेदन के साथ प्लॉट के मालकी हक संबंधी जो दस्तावेज पेश किए उनमें से अधिकांश दस्तावेज रजिस्टर्ड ही नहीं हैं। अब नासुप्र इस बात को लेकर पसोपेश में है कि, वह अपंजीकृत दस्तावेज पेश करने वाले आवेदकों के प्लॉट नियमित करे अथवा न करे। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अब आरएल जारी करने में उन प्लॉट काे प्राथमिकता दी जा रही है जिसके दस्तावेज रजिस्टर्ड हैं। ऐसे में अपंजीकृत दस्तावेज पेश करने वाले प्लॉट धारकों को आरएल मिलने की आस धूमिल होती दिखाई दे रही है।
14 हजार से अधिक आवेदन रिजेक्ट किए
नासुप्र के अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक आरएल के लिए कुल 83 हजार 708 आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से 57 हजार 952 आवेदकों द्वारा जमीन पर मालकी हक संबंधी दस्तावेज ही प्रस्तुत नहीं किए गए। 25 हजार 756 आवेदकों ने दस्तावेज पेश किए, लेकिन कई तरह की खामियों व दस्तावेज पंजीकृत नहीं होने की वजह से इनमें से 14 हजार से अधिक आवेदन रिजेक्ट कर दिए गए। शेष करीब 15 हजार आवेदनों को संज्ञान में लिया गया, लेकिन अधिकांश ले-आउट में त्रुटियां होने का हवाला देकर सिटी सर्वे ने इन ले-आउट की ‘क’ प्रत ही उपलब्ध नहीं कराई। परिणात: हजारों आवेदकों को आरएल लेटर अब तक जारी नहीं किए जा सके हैं।
अप्रैल 2022 में नासुप्र ने गुंठेवारी कानून के तहत भूखंड नियमितीकरण के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। इसे संज्ञान में लेते हुए 80 हजार 708 भूखंडधारकों ने भूखंड नियमितीकरण के लिए आवेदन पेश कर शुल्क जमा किया था। इन भूखंडधारकों के भूखंड अब तक नियमित नहीं किए जा सके हैं। सिटी सर्वे क्र.-3 में 75 ले-आउट की नाप-जोख कर ‘क’ प्रत जारी करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इन 75 ले-आउट का सर्वे करने के लिए नासुप्र ने शुल्क के रूप में 87 लाख रुपए का भुगतान किया था। इसी तरह सिटी सर्वे क्र.-2 अंतर्गत करीब 200 अनधिकृत ले-आउट का सर्वे करना था।
इस कार्यालय के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि, सभी ले-आउट का सर्वे पूर्ण कर लिया गया है। इनमें से कुछ ले-आउट की ‘क’ प्रत जारी भी कर दी गई है, जबकि 40 से अधिक ले-आउट विवादास्पद होने की बात कही गई है तथा इन ले-आउट की ‘क’ प्रत जारी नहीं की जा सकी है। कुछ ले-आउट की नाप-जोख में जमीन के क्षेत्रफल को लेकर भी विवाद उठ रहे हैं।