आयोजन: स्थायी कृषि के लिए मृदा पारिस्थिति की तंत्र सेवाओं पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
- Organization of National Seminar on System Services of Soil Ecosystem for Sustainable Agriculture
- मृदा सुरक्षा और मृदा स्थिरता पर मार्गदर्शन
- मृदा पारिस्थिति की तंत्र सेवाओं (एसईएसएस) का आकलन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। भारतीय मृदा सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग नियोजन सोसाइटी (आईएसएसएलयूपी) द्वारा स्थायी कृषि के लिए मृदा पारिस्थिति की तंत्र सेवाओं पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 21 से 23 फरवरी तक राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो, अमरावती रोड के डॉ. एसपी रायचौधरी सभागार में किया गया है। मुख्य अतिथि के रूप में एचसी गिरीश, आईएफएस, आयुक्त, वाटरशेड विकास विभाग, कर्नाटक और विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. एम मधु, निदेशक आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी देहरादून उपस्थित रहेंगे। आईएसएसएलयूपी के अध्यक्ष डॉ. ब्रम्हा स्वरूप द्विवेदी, सदस्य, एएसआरबी, नई दिल्ली हैं। राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डॉ. एन. जी. पाटील, निदेशक, आईसीएआर-एनबीएसएस एंड एलयूपीए नागपुर हैं। राष्ट्रीय सेमिनार के आयोजन सचिव ब्यूरो के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. के. कार्तिकेयन हैं। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 200 से अधिक प्रतिनिधियों (वैज्ञानिकों, छात्रों, नीति नियोजकों, उद्योगपतियों) के भाग लेने की उम्मीद है।
मृदा सुरक्षा और मृदा स्थिरता पर जोर : राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो के निदेशक डा. एन.जी. पाटील ने पत्र-परिषद में बताया कि मृदा सुरक्षा और मृदा स्थिरता संयुक्त राष्ट्र 2030 के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह भारत में कृषि उत्पादकता के आधिक्य के लिए आवश्यक है। संसाधनों के बढ़ते असमान उपयोग ने प्राकृतिक संसाधनों मुख्य रूप से मिट्टी को प्रभावित किया है। भोजन, ईंधन और फाइबर उत्पादन की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए स्थायी प्रबंधन की प्रविधियों के माध्यम से मिट्टी के कार्यों में समवर्ती वृद्धि की आवश्यकता होती है।
क्या है उद्देय : महत्वपूर्ण रूप से हस्तक्षेप कर मिट्टी के कार्यों के बारे में वैज्ञानिक ज्ञान को व्यावहारिक तरीकों में रूपांतरित करके कृषि भूमि की वैश्विक स्थिरता में योगदान दिया जा सकता है। ये विधियां उत्पादकों की समझ को समृद्ध करती हैं और उन्हें अपनी प्रबंधन प्रविधियों की स्थिरता का आकलन करने में सक्षम बनाती हैं। सेमिनार के मुख्य उपविषय मृदा पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं (एसईएसएस) का आकलन करने हेतु भूमि संसाधन इन्वेट्री और इसकी प्रगति, खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु टिकाऊ कृषि के लिए मृदा पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं एवं मृदा पारिस्थिति की तंत्र सेवाएं (ईएसएस), संरक्षण और प्रबंधन हैं। पत्र-परिषद में डाॅ. के कार्तिकेयन, डॉ. ओ बी रेड्डी, डाॅ. रीतिक बिस्वास, डॉ. प्रमोद तिवारी, समन्वयक डॉ. महेंद्रसिंह रघुवंशी उपस्थित थे।