Nagpur News: अज्ञात और निराधार मरीजों का पुनर्वसन करना चुनौती, मरीजों के सामने संकट

  • मेडिकल में उपचार करानेवाले मरीजों के सामने संकट
  • तीन सालों में 162 मरीजों का पुनर्वसन, अब कोई तैयार नहीं
  • मेडिकल में उपचार करानेवाले मरीजों के सामने संकट

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-20 15:00 GMT

Nagpur News : अज्ञात और निराधार मरीजों का पुनर्वसन करना चुनौती बनता दिख रहा है। जिससे मेडिकल में उपचार करानेवाले मरीजों के सामने संकट खड़ा है। पहले मामले में 70 साल के विनायक भीख मांगकर अपना गुजारा करते है। गणेशपेठ स्थित सहकारी शेतकरी बैंक का फुटपाथ ही उनका आशियाना है। परिजनों का कोई अता-पता नहीं है। अर्धांग वायु के दौरे के चलते आधा शरीर निष्क्रीय हो चुका है। किसी सज्जन ने देखा तो उसे मेडिकल में भर्ती किया। अब हाल यह है कि उसे रखने के लिए कोई तैयार नहीं है।

दूसरे मामले में 50 साल की वंदना दुर्घटना में घायल हुई। उसे मेडिकल में पहुंचाया गया। ना कोई रिश्तेदार ना पास में कोई पैसा। उपचार हुआ। स्वस्थ होने के बाद उसके पुनर्वसन का सवाल पैदा हुआ। समाजसेवा विभाग और संस्थाओं के प्रतिनिधियों की भागदौड़ शुरु है। लेकिन कोई उसे रखने को तैयार नहीं हो रहा है।

15 दिन से समाजसेवा विभाग कर रहा भागदौड़

मेडिकल में भर्ती किये जानेवाले मरीजों की पुनर्वसन को लेकर समस्या पैदा हो चुकी है। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) में हर साल सैंकड़ों अज्ञात मरीज भर्ती किये जाते है। इनमें से कुछ को पुलिस विभाग द्वारा, कुछ को स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा अौर कुछ को समाजसेवियों द्वारा भर्ती किया जाता है। अज्ञात मरीज होने से अधिकतर के परिजनों का अता-पता नहीं चल पाता। जब यह लोग स्वस्थ हो जाते है, तो उन्हें कहां भेजा जाए, कहां रखा जाएं, यह बड़ी समस्या पैदा हो जाती है। समाजसेवा विभाग की तरफ से अपने स्तर पर पुनर्वसन का का पूरा प्रयास किया जाता है। लेकिन हर मरीज के मामले में सफलता नहीं मिल पाती है। पिछले 15 दिनों से 2 अज्ञात मरीजों के पुनर्वसन के लिए विदर्भभर में प्रयास किया जा रहा है, लेकिन कोई संस्था उन्हें रखने को तैयार नहीं है। मेडिकल के लिए यह बड़ी समस्या बन चुकी है। पिछले तीन सालों में 162 मरीजों का पुनर्वसन किया गया है।

सालभर में अनेक कहानियां आती सामने

मेडिकल में हर साल सैंकड़ों अज्ञात-निराधार मरीजों को उपचार के लिए भर्ती किया जाता है। इनमें से कुछ ही मरीजों का पुनर्वसन यानि उन्हें आधार मिल पाता है। अन्य मरीजों के लिए शेष रह जाता है इंतजार। 9 अगस्त को 70 साल के विनायक का अर्धांगवायु के चलते अभिजीत नामक व्यक्ति ने मेडिकल में भर्ती किया था। उसका वार्ड क्रमांक 36 में उपचार चल रहा था। अर्धांगवायु के चलते विनायक का आधा शरीर निष्क्रिय हो गया। वे उठकर बैठ भी नहीं सकते। मेडिकल के समाजसेवा अधीक्षक ने अभिजीत से संपर्क कर उसे ले जाने की सलाह दी। विनायक व अभिजीत का कोई रिश्ता नहीं है। मनुष्यता के नाते वह मेडिकल में उपचार के लिए लेकर आया था। अजनी पुलिस की मदद से विनायक के परिजनों का पता लगाया गया। मालुम हुआ कि विनायक की पत्नी व बेटा दोनों की मृत्यु हुई है। अब विनायक को कहां रखा जाए, उसका पुनर्वसन कैसे किया जाए, यह समस्या पैदा हो चुकी है। मेडिकल के समाजसेवा अधीक्षक पिछले 15 दिनों से सभी सामाजिक संस्थाओं, शेल्टर होम्स, निराधार केंद्रों से संपर्क कर चुके है। लेकिन विनायक बिस्तर से उठ नहीं सकता। इसलिए उसे कोई रखने को तैयार नहीं है। अब इस मरीज को रखने की समस्या मेडिकल के सामने पैदा हो चुकी है। दूसरे मामले में 50 साल की वंदना दुर्घटना में जख्मी हो चुकी है। उसका कोई परिजन व रिश्तेदार नहीं है। मेडिकल में भर्ती है। खाने व उपचार के लिए पैसे नहीं है। मेडिकल द्वारा सब किया जा रहा है। जख्मों के कारण वह परेशान है। अच्छी होने के बाद उसे कहां रखा जाए, यह सवाल पैदा हो चुका है। सालभर में मेडिकल में ऐसी अनेक कहानियां सामने आती है।

चल-फिर नहीं सकते, उनके लिए कोई नहीं होता तैयार

अज्ञात व निराधार मरीजों का उपचार के बाद पुनर्वसन करना पड़ता है। मेडिकल का समाजसेवा विभाग इसके लिए प्रयास करता रहता है। जिले की संस्थाएं जीवनछाया, सेवा फाउंडेशन, साथ फाउंडेशन, मिशनरी चैरिटी मदर टेरेसा होम, शांति भवन आदि संस्थाओं को छोड़ दिया जाए तो अन्य संस्थाएं मरीजों को रखने के लिए तैयार नहीं होते। जाे मरीज चल-फिर नहीं सकते, जो मरीज कोई काम नहीं कर सकते, ऐसे मरीजों को रखने में मनाही कर दी जाती है। क्योंकि ऐसे मरीजों की देखभाल कर पाना आसान काम नहीं होता। इस कारण यह समस्या बढ़ती ही जा रही है। इसलिए सामाजिक न्याय विभाग द्वारा ऐसे मरीजों के लिए शेल्टर हाऊस शुरु कर वहां केयर टेकर की मांग की जा रही है। लेकिन विभाग द्वारा इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। सूत्रों ने बताया कि मेडिकल ने पिछले तीन सालों में 162 मरीजों का अलग-अलग संस्थाओं व शेल्टर होम में पुनर्वसन किया है। उनके पुनर्वसन के लिए संस्थाओं द्वारा सह्योग नहीं मिलने की जानकारी सूत्रों ने दी है। 

Tags:    

Similar News