नागपुर उच्च न्यायालय: विदेशी स्कॉलरशिप बंद करने के षड्यंत्र के खिलाफ आंदोलन, दायर की जनहित याचिका
- द प्लेटफार्म ने उच्च न्यायालय में दायर की जनहित याचिका
- संविधान विरोधी शर्तों का विरोध
डिजिटल डेस्क, नागपुर. महाराष्ट्र सरकार ने एससी, एसटी ओबीसी, वीजेएनटी और ओपन कैटेगरी में समान नीति लागू करने के नाम पर सबके लिए कुछ न कुछ अतार्किक नियम लादे हैं। आरोप है कि विशेषकर एसटी, एसटी के लिए संविधान बाह्य नियम लादकर सरकार द्वारा एससी-एसटी समाज पर अन्याय किया गया है। सरकार की इस ज्यादती के खिलाफ शहर के सामाजिक संगठन आक्रामक हो गए हैं। प्रकरण को लेकर द प्लेटफार्म नामक संस्था ने नागपुर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका भी दायर की है। मामले को लेकर शनिवार को विविध संगठनों ने संविधान चौक पर धरना-आंदोलन कर तत्काल इन नियमों को रद्द करने की मांग की है।
शिक्षा से वंचित कर रहे
आंदोलन के दौरान ‘द प्लेटफार्म’ संस्था के सदस्य राजीव खोब्रागडे ने कहा कि सरकार के यह नियम अतार्किक है और अनेक नियम संविधान के तत्वों से विपरीत हैं। संविधान के अनुच्छेद 46 नियमानुसार अनुसूचित जाति व जनजाति के उद्धार के लिए शासकीय योजना सिर्फ आर्थिक पिछड़ापन नहीं बल्कि सामाजिक पिछड़ापन दूर करना है। अनुच्छेद 15(4), 330 व 14 के ‘टेस्ट ऑफ रिसनेबल क्लासिफिकेशन’ के तत्व से सरकार ने नई समानता लाने के नाम पर लायी नीति जुड़ती नहीं है। संस्था ने आरोप लगाया कि बहुजनों का विकास जातियवादी सरकार को पसंद नहीं आ रहा है। विशेषत: अनुसूचित जाति-जनजाति के शैक्षणिक नीति में घटनाबाह्य क्रीमिलेयर लागू कर उन्हें शिक्षा से वंचित कर रहे हैं।
संविधान विरोधी शर्तों का विरोध
उन्होंने बताया कि इन सभी संविधान विरोधी शर्तों के खिलाफ हमने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। आंदोलन में मानव अधिकार संरक्षण मंच के आशीष फुलझेले, देविदास घोडेस्वार, धम्मपाल आवले, अशोक बोंदाडे, राजू केंद्र, सुमित जांभुलकर, महेश वासनिक, नीलेश भिवगडे, संघोष टेम्भुर्णे, रीता बागडे, प्राशिता जांम्भुलकर, सुषमा कलमकर, सौरभ गाणार, पीयूष मेश्राम, संदीप वाघमारे, प्रणय आडीकाने, निखिलेश मेश्राम, रोहित सांगोले, अनिकेत कुत्तरमारे, अथांग करोडे, अनिकेत मेश्राम, कुणाल टेम्भुरकर, सुरेश उके आदि उपस्थित थे।