लापरवाही: न खंभा, न मीटर, फिर भी रीडिंग के साथ गरीब किसान को भेज दिया 76 हजार रुपए का बिल
महावितरण के अधीक्षक व मुख्य अभियंता को लिखित पत्र देने के बाद भी कोई असर नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर। महावितरण का बिजली बिल एक माह बकाया रहने पर भी वसूली प्रतिनिधि घर पहुंच जाता है। बड़ी मुश्किल से एक-दो दिन की माेहलत बकाया चुकाने के लिए दी जाती है। भुगतान नहीं करने पर कनेक्शन काट दिया जाता है। मौदा में चौंकाने वाला प्रकरण सामने आया है। महावितरण ने एक साल पहले खंभा लगाकर छोड़ दिया गया। कनेक्शन भी नहीं जोड़ा, फिर भी 76,310 रुपए बिल किसान को भेज दिया। बिल देख किसान के होश उड़ गए। अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई प्रतिसाद नहीं मिला, बल्कि उस पर बकाया बिल भरने के लिए दबाव बनाने की पीड़ित किसान ने व्यथा बयां की है।
बकाए बिल का 20 जनवरी 2022 में हुआ सेटलमेंट : कामठी तहसील के सेलू गांव में राजेश मालू का खेत है। जिस समय उन्होंने खेत खरीदा, उससे 17 साल पहले पुराने खेत मालिक पर बिजली बिल का बकाया होने के कराण महावितरण कर्मचारियों ने कनेक्शन काट दिया और खंभे उखाड़कर ले गए। खेत खरीदने के बाद यह बात सामने आने पर राजेश मालू ने किसी झंझट में पड़ने की जगह महावितरण की सेटलमेंट योजना अंतर्गत 20 जनवरी 2022 को 11,500 रुपए भरकर निपटारा कर दिया।
एक साल पहले ही फिर खंभे लगाए : मालू बताते हैं कि, उनके खेत तक बिजली सप्लाई के लिए महावितरण ने एक साल पहले यानी 9 दिसंबर 2022 को फिर से खंभे लगाकर सप्लाई शुरू की, लेकिन अभी तक कनेक्शन और मीटर भी नहीं मिला है। बावजूद 76,310 रुपए बिल भेजा दिया। जो बिल मिला है, उसमें नियमित मीटर रीडिंग दर्शायी गई है, लेकिन जब मीटर ही नहीं मिला, तो रीडिंग कहां से ली, यह सवाल एक पहेली बन गया है।
बिना कनेक्शन 20 साल का बिल थमाया : खंभे लगाकर सप्लाई शुरू होने के बाद का बिल भेजने पर समझ में आ सकता है। यहां बड़ी अजीब कहानी है। कनेक्शन जोड़े बिना ही बिल भेज दिया गया। उसमें भी पूरे 20 साल का बकाया बताया गया है। इसे महावितरण की बड़ी लापरवाही कहें, या अवैध वसूली का गोरखधंधा।
कोई सुनवाई नहीं : पीड़ित किसान ने बताया कि, बिल मिलने पर उन्होंने महावितरण के उपविभागीय कार्यालय, मौदा में शिकायत करने पर कोई हल नहीं निकला। वहां से निराशा हाथ लगने पर अधीक्षक अभियंता और मुख्य अभियंता को लिखित पत्र देकर गुहार लगाई, लेकिन उनकी शिकायत पर कहीं भी सुनवाई नहीं हुई।