स्मृति शेष: नागपुर में भूमिगत हो गए थे कर्पूरी ठाकुर, अचानक मंच पर दिखे, स्कूटर से पहुंचे विमानतल
- दलितों के उद्धार के लिए जीवन समर्पित किया
- किसान रैली में शामिल होने आए थे नागपुर
- पुलिस से बचने गली-गली होकर एयरपोर्ट गए
डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र सरकार द्वारा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न सम्मान देने की घोषणा की गई है। कर्पूरी ठाकुर जी 80 के दशक में नागपुर में आयोजित किसान रैली में पहुंचे थे, लेकिन गिरफ्तारी से बचने के लिए भूमिगत हो गए थे। अचानक मंच पर प्रकट हुए और पुन: विमानतल पहुंचने के लिए स्कूटर का सहारा लिया था। लोहिया अध्ययन केंद्र के पूर्व अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि 80 के दशक में जब अंतुले मुख्यमंत्री थे, तब शरद पवार ने किसान रैली का आयोजन नागपुर में किया था। उस समय पूरे महाराष्ट्र से लाखों किसान रैली में पहुंचे थे। देश भर के बड़े किसान नेताओं को रैली में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था जिनमें जॉर्ज फर्नांडीज और कर्पूरी ठाकुर भी थे।
रैली को विफल करने के लिए सरकार द्वारा नेताओं को गिरफ्तार करने के गुप्त आदेश दिए गए थे। गिरफ्तारी से बचने के लिए नागपुर पहुंचते ही कर्पूरी ठाकुर भूमिगत हो गए और अचानक किसान रैली के मंच पर पहुंचे, लेकिन रैली को संबोधित नहीं कर पाए। वापसी में पुन: पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए वह स्कूटर पर बैठकर विमानतल पहुंचे और सारथी बने थे सुरेश अग्रवाल। श्री अग्रवाल ने बताया कि ठाकुर जी को सीधे एयरपोर्ट न ले जाते हुए इधर-उधर से घूमते और बचते- बचाते हुए स्कूटर पर बैठाकर विमानतल पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि दो बार मुख्यमंत्री बनने के बावजूद ठाकुर जी ने सत्ता का लाभ नहीं लिया। उस दौर में भी उनके परिवार के भरण-पोषण का एकमात्र साधन नाई की दुकान थी। लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान तथा शरद यादव जैसे नेता कर्पूरी ठाकुर के सानिध्य में तैयार हुए। कर्पूरी ठाकुर महान लोगों में से थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन आम जनता के उत्थान और विकास के लिए समर्पित कर दिया। इतने सीधे सादे थे कि अपने कंधे पर एक ब्लैंकेट डालकर आए और ब्लैंकेट रखकर ही यहां से गए।
सुयोग्य, दूरदर्शितापूर्ण निर्णय : दलितों के उद्धार के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का निर्णय अतिशय सुयोग्य, दूरदर्शितापूर्ण और आनंददायक निर्णय केंद्र की मोदी सरकार ने लिया है। इससे सामाजिक न्याय की प्रेरणा मिलेगी। कर्पूरी ठाकुर का जन्मशताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है। मैं उन्हें अभिवादन करता हूं। -चंद्रशेखर बावनकुले, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष
राजनीति में सामंतवादी वर्चस्व को तोड़ा : जननायक कर्पूरी ठाकुर ने बिहार के सामंतवादी वर्चस्व वाली राजनीति को नई दिशा दी। सामंतवादी वर्चस्व को तोड़ दिया। उनकी जन स्वीकार्यता बहुत बड़ी थी। आम जनों के हित में अनेक योजनाएं उन्होंने लागू की। -प्रकाश चंद्रायन, Karpoori Thakur ji had reached the farmers rally organized in Nagpur in the 80s, but had gone underground to avoid arrest.वरिष्ठ पत्रकार