नागपुर: कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक केंद्र बनेगा
- कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय
- बनेगा अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक केंद्र
डिजिटल डेस्क, नागपुर. नाकवि कुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलगुरु डाॅ. पंकज चांदे ने कहा कि विश्वविद्यालय को अब विभिन्न प्रकार के संस्कृत पाठ्यक्रम बनाने चाहिए जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों को लाभान्वित करें और आकर्षित करें। साथ ही उन पाठ्यक्रमों को अंग्रेजी में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति करें। अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करना गुणवत्तापूर्ण पाठ्यक्रम और शिक्षण कौशल वाले अच्छे संकाय पर निर्भर करता है। इसके लिए विश्वविद्यालय को प्राथमिकता से प्रयास करना चाहिए। अगर विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलती है तो इससे विश्वविद्यालय को कई तरह से फायदा होगा।
कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस समारोह का सोमवार को रामटेक में समापन हुआ। अपनी स्थापना के 26 वर्ष पूरे कर विश्वविद्यालय 27वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलगुरू डॉ. पंकज चांदे प्रमुख अतिथि और प्रो. शीतला प्रसाद शुक्ल, डीन, साहित्य एवं संस्कृति संकाय, श्री लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलगुरू प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने की। प्रो. मधुसूदन पेन्ना, डीन, भारतीय धर्म, दर्शन और संस्कृति संकाय, कुलसचिव डॉ. रामचन्द्र जोशी की मंच पर विशेष उपस्थिति रही।
प्रो. मधुसूदन पेन्ना ने विश्वविद्यालय में पूर्व कुलगुरू के योगदान और प्रगति के चरणों पर टिप्पणी की। अध्यक्षीय भाषण में कुलगुरू प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने पंचवर्षीय योजना के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वारंगा में एक अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक परिसर विकसित कर इसे मध्य भारत में देश-विदेश के छात्रों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक केंद्र के रूप में विकसित करना उनकी प्राथमिकता है। इस क्षेत्र को जल्द से जल्द विकसित कर वहां शैक्षणिक कार्य शुरू करने पर जोर दिया जा रहा है।
सहयोग और आर्थिक मजबूती की जरूरत
इसके अलावा रत्नागिरी में एक अंतरराष्ट्रीय योग केंद्र विकसित करने की योजना तैयार की जा रही है। साथ ही सरकार द्वारा स्वीकृत उपकेंद्रों में से परभणी उपकेंद्र के निर्माण पर भी ध्यान दिया जाएगा। किसी विश्वविद्यालय के विकास के लिए लोगों के सहयोग और आर्थिक मजबूती दोनों की जरूरत होती है। लोगों का समर्थन तो है, लेकिन सरकार समय रहते आर्थिक मजबूती दे तो विकास कार्यों की गति बाधित नहीं होगी। विश्वविद्यालय संस्कृत को बढ़ावा देने और विश्वविद्यालय के विस्तार दोनों मोर्चों पर लगातार काम कर रहा है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय वर्तमान में भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित विभिन्न पाठ्यक्रमों के डिजाइन और विभिन्न विश्वविद्यालयों में इसके कार्यान्वयन पर विशेष कार्य कर रहा है।
राज्यपाल रमेश बैस ने अपने भाषण में कहा, संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में संस्कृत और मातृभाषा दोनों को महत्व दिया गया है। संस्कृत भाषा को आम लोगों की बोलचाल की भाषा के रूप में प्रचारित एवं प्रसारित करना जरूरी है। मुझे विश्वास है कि आने वाला युग संस्कृत का होगा। संस्कृत विश्वविद्यालय के कविकुलगुरु कालिदास शोध छात्र भवन का लोकार्पण एवं राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन समारोह रविवार को रामटेक में संपन्न हुआ। राज्यपाल बैस ने अपने संबोधन में आगे कहा कि संस्कृत विश्वविद्यालय को आईआईटी, एम्स और अन्य विज्ञान और इंजीनियरिंग संस्थानों के साथ काम करना चाहिए। यह संयुक्त शैक्षणिक और शोध कार्य उनके संस्कृत भाषा के ज्ञान और अन्य वैज्ञानिक भाषाई क्षमताओं को प्रकाश में लाएगा।