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Nagpur News: मौसमी कर्मियों पर भी ईपीएफ अधिनियम लागू, मिलेगी सुविधा
- हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला
- सहकारी कपास संघ की याचिका खारिज
- ईपीएफ अपीलीय न्यायाधिकरण नई दिल्ली और ईपीएफ क्षेत्रीय कार्यालय नागपुर के थे आदेश
Nagpur News बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने मौसमी कर्मचारियों के हित में एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी कपास उत्पादक विपणन संघ द्वारा दायर की गई याचिका खारिज करते हुए कहा कि मौसमी कर्मचारियों पर भी ईपीएफ अधिनियम लागू होता है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, एक विशेष सीज़न के लिए काम करने वाले अस्थायी मौसमी कर्मचारियों को अवकाश के समय दिए जाने वाले रिटेंशन अलाउंस पर भी पीएफ अधिनियम के प्रावधान लागू होते हैं। न्या. अनिल पानसरे ने यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है।
आदेश को दी चुनौती : ईपीएफ अपीलीय न्यायाधिकरण नई दिल्ली और ईपीएफ क्षेत्रीय कार्यालय नागपुर द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए सहकारी कपास संघ ने यह याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि कपास संघ एक संगठन है, जो कपास के मौसम के लिए काम करता है। सैकड़ों अस्थायी कर्मचारी संघ की सेवा करते हैं। कपास का मौसम खत्म होने के बाद इन कर्मचारियों के पास कोई काम नहीं रहता। लेकिन, इन कर्मचारियों को कपास संघ के अनुरूप बनाए रखने के लिए, उन्हें नया कपास सीजन शुरू होने तक एक निश्चित भत्ता दिया जाता है। कपास संघ ने ऐसे कर्मचारियों को 1991 से 2008 की अवधि के दौरान यह भत्ता दिया, लेकिन लागू पीएफ को कर्मचारी के खाते में जमा नहीं किया। इसलिए सहायक भविष्य निधि आयुक्त ने 3 मार्च 2011 को नोटिस जारी कर सहकारी कपास संघ 14 लाख 21 हजार 145 रुपये की राशि का भुगतान करने और कर्मचारियों के संबंधित ईपीएफ खातों में इसे जमा करने के लिए कहा था। इसको कपास संघ ने ईपीएफ अपीलीय न्यायाधिकरण में चुनौती दी थी। लेकिन अपीलीय न्यायाधिकरण ने भी 17 फरवरी 2011 को कपास संघ की अपील खारिज कर दी। इसलिए कपास संघ ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कपास संघ का तर्क : मामले पर हुई सुनवाई में कपास संघ की ओर से तर्क दिया गया कि, ईपीएफ अधिनियम के तहत सहकारी कपास संघ यह उद्योग में नहीं आता है। कपास संघ राज्य सरकार के मुख्य एजेंट के रूप में महाराष्ट्र कच्चा कपास अधिनियम के प्रावधानों के तहत कपास के मौसम के दौरान कपास की खरीद और बिक्री के संबंध में महाराष्ट्र सरकार द्वारा सौंपे गए कार्य को पूरा करने के लिए कार्य करता है। यह किसानों को कपास की फसल को उचित मूल्य पर बेचने में सुविधा प्रदान करने का कार्य है। ऐसी सुविधा को उद्योग नहीं कहा जा सकता। तदनुसार, उन्होंने तर्क दिया कि ईपीएफ अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होंगे।
ईपीएफ की दलील : वहीं दूसरी ओर ईपीएफ क्षेत्रीय कार्यालय ने अपने दलील में कहा कि, ईपीएफ अधिनियम की अनुसूची-1 में उद्योगों को सूचीबद्ध किया गया है, जिसमें वस्त्रों के निर्माण में लगे उद्योग या कपास ओटना, गांठ बनाना और दबाने का उद्योग में आता है। इसलिए कपास संघ के इस तर्क में कोई तथ्य नहीं दिखता कि ईपीएफ अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कपास संघ की याचिका योग्यताहीन बताते हुए खारिज कर दी। ईपीएफ क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से एड. गिरीश कुंटे ने पैरवी की।
Created On :   13 Nov 2024 9:15 AM GMT