कार्रवाई: राज्यपाल ने नागपुर यूनिवर्सिटी के कुलगुरु डॉ. सुभाष चौधरी को किया निलंबित
- विवादित कार्यकाल के चलते राज्यपाल द्वारा कार्रवाई
- बड़ी संख्या में शिकायतें मिली, चौधरी के जवाब नहीं थे संतोषजनक
- गोंडवाना विद्यापीठ के कुलगुरु डॉ. प्रशांत बोकारे होंगे प्रभारी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्यपाल रमेश बैस ने राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ के कुलगुरु डॉ. सुभाष चौधरी को पद से निलंबित कर दिया है। डॉ. चौधरी का कार्यकाल काफी विवादों से भरा रहा। उनके खिलाफ बड़ी संख्या में राज्यपाल को शिकायतें को मिली थीं। राज्यपाल ने इन शिकायतों पर डॉ. चौधरी को अपना पक्ष रखने के लिए बुधवार 21 फरवरी को बुलाया था। डॉ. चौधरी के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर राज्यपाल ने आखिरकार निलंबन की कार्रवाई की। गोंडवाना विद्यापीठ के कुलगुरु डॉ. प्रशांत बोकारे को राज्यपाल ने डॉ. सुभाष चौधरी के स्थान पर प्रभारी कुलगुरु पद पर नियुक्त किया है। डॉ. सुभाष चौधरी के विवादास्पद कार्यकाल पर मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में भी मुद्दा उठाया गया था। तब उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील ने भी शिकायतों की जांच का आश्वासन दिया।
उप सचिव ने जांच कर दी थी रिपोर्ट : सार्वजनिक विद्यापीठ अधिनियम के अनुसार, कुलगुरु के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार राज्यपाल और विद्यापीठ के कुलाधिपति के पास है। इसलिए राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ के कुलगुरु डाॅ. सुभाष चौधरी के खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए नियुक्त उच्च तकनीकी शिक्षा के उप सचिव अजीत बाविस्कर की समिति ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल रमेश बैस को सौंपी थी।
आदेश की अनदेखी कुलगुरु ने अधिकार का दुरुपयोग किया : समिति के इस रिपोर्ट में बताया गया कि कुलगुरु डॉ. चाैधरी ने अपने अधिकार का दुरुपयोग किया है और एमकेसीएल को लेकर सरकार के आदेशों की अनदेखी की है।
पूर्व राज्यपाल द्वारा कोई कार्रवाई नहीं : पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कुलगुरु डॉ. चाैधरी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी। इसलिए राज्यपाल रमेश बैस ने नये से रिपोर्ट दायर करने का आदेश दिया था। इस रिपोर्ट के बाद राज्यपाल ने कुलगुरु डॉ. चौधरी के खिलाफ कार्रवाई की है।
एमकेसीएल को ठेका देने पर जिम्मेदार ठहराया : रिपोर्ट में कहा गया है कि एमकेसीएल के साथ विद्यापीठ द्वारा किया गया समझौता 2015 में रद्द कर दिया गया था। सितंबर 2017 में राज्य सरकार ने विद्यापीठ को पत्र भेजकर सीधे एमकेसीएल को कोई काम नहीं देने को कहा था। इसके बावजूद सरकार के फैसले की अनदेखी कर एमकेसीएल को ठेका देने के लिए विद्यापीठ को जिम्मेदार ठहराया गया है। विशेष बात यह है कि कुलगुरु डॉ. चाैधरी की जिद के कारण परीक्षा का कार्य एमकेसीएल को दे दिया गया। कुलगुरु के इस फैसले का हर स्तर पर विरोध हुआ था।