पराजय से बनी स्थिति: बीआरएस के मिशन महाराष्ट्र पर संकट, विदर्भ में ताकत दिखाने की तैयारी रह गई
- बीआरएस के मिशन
- मिशन महाराष्ट्र पर संकट
- रह गई विदर्भ में ताकत दिखाने की तैयारी
डिजिटल डेस्क, नागपुर, रघुनाथसिंह लोधी. बीआरएस अर्थात भारत राष्ट्र समिति के मिशन महाराष्ट्र पर संकट के आसार है। पार्टी ने विदर्भ के लिए जो रणनीतिक खाका तैयार किया था उसे गति मिलने में भी दिक्कत होगी। यहां बीआरएस राजनीतिक ताकत दिखाने का प्रयास कर रही थी। तेलंगाना विधानसभा चुनाव में बीआरएस की पराजय के कारण यह स्थिति बनी है। केसीआर अर्थात के.चंद्रशेखरराव के नेतृत्व में बीआरएस ने विस्तार योजना बनायी थी। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पंजाब होते हुए देश की राजनीति का प्रतिनिधित्व करने का संकल्प लिया गया। जून 2023 के बाद बीआरएस की महाराष्ट्र में सक्रियता बढ़ी। नांदेड के बाद नागपुर में केसीआर ने सभा के माध्यम से सक्रियता दिखायी। नागपुर में बीआरएस का कार्यालय खोला गया। बीआरएस की सक्रियता पर सबसे अधिक कांग्रेस ने तंज कसा। उसे भाजपा की बी टीम भी कहा गया। लेकिन बीआरएस अपने मिशन में जुटी रही। महाराष्ट्र के सीमा क्षेत्र में बीआरएस का विशेष ध्यान दिखा। विदर्भ के चंद्रपुर, गडचिरोली, यवतमाल, जिले में सदस्यता अभियान शुरु किया गया। तुमसर के पूर्व विधायक चरण वाघमारे, यवतमाल के पूर्व सांसद हरिभाऊ राठोड, गडचिरोली जिले के पूर्व विधायक दीपक आत्राम सहित कई जनप्रतिनिधि बीआरएस में शामिल हैं। नागपुर में केसीआर ने मिशन महाराष्ट्र के तहत विधानसभा की सभी 288 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। संगठन विस्तार के साथ ही स्थानीय निकाय संस्थाओं में बीआरएस की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास किया है। नवंबर में पूर्व विदर्भ में ग्राम पंचायत चुनाव में बीआरएस का प्रभाव देखा गया। दावा किया गया कि बीआरएस ने पूर्व विदर्भ में 55 ग्राम पंचायत में से 22 के चुनाव जीते हैं। तुमसर क्षेत्र में 19्र्र, काटोल में 1 व आर्वी में 2 ग्राम पंचायत में जीत का दावा बीआरएस ने किया है। जून में केसीआर बतौर मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों व पार्टी पदाधिकारियों के साथ 3 दिन की पंढरपुर यात्रा पर आए थे। उसके बाद मुंबई, औरंगाबाद, पुणे में शाखएं खेोलने की शुरुआत की। लेकिन तेलंगाना में पराजय के बाद सभी तैयारियों पर विराम लग गया है। बीआरएस की स्थिति को लेकर पार्टी के पूर्व विदर्भ समन्वयक ज्ञानेश्वर वाकुडकर ने कहा है-पार्टी के महाराष्ट्र मिशन पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ेगा। चुनावों में पराजय होते रहती है। संगठन अपना काम और ताकत व गति के साथ करेगा। बीआरएस के जिला समन्वयक रविकांत खोब्रागडे का दावा है कि जनवरी 2024 से बीआरएस के मिशन महाराष्ट्र का प्रभाव विदर्भ में भी दिखने लगेगा।