नागपुर खंडपीठ: कोरोनिल पर प्रतिबंध की मांग अदालत ने खारिज की, याचिका का हुआ निपटारा
- पतंजलि के खिलाफ भी कार्रवाई करने का किया था अनुरोध
- कोर्ट ने कहा-याचिकाकर्ता के अधिकार का उल्लंघन नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर. बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने मंगलवार को कोरोनिल दवा पर प्रतिबंध लगाते हुए पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका का निपटारा कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत हैसियत से यह याचिका दायर की है, जिसमें किसी भी तरह के अधिकार का उल्लंघन नहीं दिखाया गया है। पूरी कार्रवाई कुछ समाचार-पत्रों के प्रकाशनों पर आधारित है, जिनकी कोई प्रामाणिकता नहीं है।
इन तथ्यों का दिया हवाला
नागपुर खंडपीठ में जनार्दन मून ने 2021 में यह रिट याचिका दायर की थी। याचिका के अनुसार, कोरोना महामारी के दौरान पतंजलि ने कोरोनिल नाम की दवा तैयार की थी। कोरोनिल दवा को वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ), इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) ने मंजूरी नहीं दी थी। फिर भी पतंजलि ने कोरोना पर यह दवा असरदार होने का दावा किया था। इससे लोगों में भ्रम पैदा हुआ था। इसलिए याचिकाकर्ता ने काेरोनिल दवा पर प्रतिबंध लगाने और पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी।
मामले पर मंगलवार को न्या. विनय जोशी और न्या. मुकुलिका जवलकर के समक्ष हुई सुनवाई में कोर्ट ने याचिका में कोई तथ्य न दिखने के कारण याचिका का निटपरा कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से एड. अश्विन इंगाले, केंद्र सरकार की ओर से डेप्युटी सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एड. नंदेश देशपांडेे ने पैरवी की।
पूर्व आरोग्य मंत्री और गडकरी भी थे प्रतिवादी
याचिका के अनुसार, जब काेरोनिल दवा लांच की गई थी, तब कार्यक्रम में तत्कालीन केंद्रीय आरोग्य मंत्री हर्षवर्धन और केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी भी उपस्थित थे। इसलिए याचिकाकर्ता ने इन्हें भी प्रतिवादी बनाते हुए इनके खिलाफ भी कार्रवाई करने की मांग की थी।