विकास: लोणार सरोवर बनेगा वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने तैयार किया प्रस्ताव

  • नई दिल्ली में होगी वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी की कॉन्फ्रेंस
  • 2020 में लोणार सरोवर को रामसर साइट का दर्जा मिला
  • लोणार सरोवर के संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर जनहित याचिका प्रलंबित

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-25 07:54 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में प्रलंबित जनहित याचिका पर हुई सुनवाई में न्यायालय मित्र एड. एस. एस. सन्याल ने कोर्ट को बताया कि, लोणार सरोवर को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स घोषित करने के लिए हलचल शुरू हो गई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग की ओर से एक प्रस्ताव भी तैयार किया गया है। जुलाई 2024 में नई दिल्ली में युनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी की कॉन्फ्रेंस होने वाली है। इस कॉन्फ्रेंस में एएसआ ई लोणार सरोवर के बारे में यह प्रस्ताव रखने वाला है। इस संबंध में कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को विस्तृत रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए। नागपुर खंडपीठ में लोणार सरोवर के संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर जनहित याचिका प्रलंबित है।

मामले पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई में एड. एस. एस. सन्याल ने कहा कि, भारतीय पुरातत्व विभाग लोणार सरोवर को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की सूची में शामिल करने की योजना बना रहा है। फिलहाल 2020 में लोणार सरोवर को "रामसर' साइट का दर्जा दिया गया है। लोणार सरोवर क्षेत्र में 15 मंदिर प्राचीन हैं और इन्हें संरक्षित करने की जरूरत है। लोणार सरोवर और उसके आसपास के क्षेत्र को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स का दर्जा मिलेगा तो इसे संरक्षित करना आसान हो जाएगा। साथ ही एड. सन्याल ने कोर्ट से वेटलैंड अथॉरिटी को प्रतिवादी करने का अनुरोध किया। कोर्ट ने इस मामले में अब 7 फरवरी को अगली सुनवाई रखी है।

इसलिए स्नान करने पर प्रतिबंध : सरोवर के क्षेत्र के मंदिर में पिछले साल 4.26 लाख भक्त दर्शन के लिए आये थे। सरोवर को दौरा करने 41 हजार पयर्टक आये थे। इनमें 72 अंतरराष्ट्रीय पर्यटक और पांच शोधकर्ता भी शामिल थे। इसलिए पुरातत्व विभाग ने कोर्ट को बताया कि, इस बढ़ती संख्या को देखते हुए और पर्यटकों द्वारा सरोवर को पहुंचाए गए नुकसान को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र में स्नान करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। लोणार का क्षेत्र एक विरासत स्थल है। इसलिए क्षेत्र में खुदाई और पाइपलाइन बिछाकर स्नान के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जा सकती है। यह सब विशेषज्ञों की सलाह के मुताबिक किया जा रहा है। इसिलए कोर्ट ने पुरातत्व विभाग को ऐसी विभिन्न योजनाओं पर उचित रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया।

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