नागपुर: छह साल बाद भी तैयार नहीं हो पाया ब्लड कम्पोनेंट यूनिट
- अलग-अलग पेंच के कारण तैयार होने में हो रहा विलंब
- एफडीए के नियमानुसार तैयार नक्शा
- हाफकिन ने लौटायी राशि
डिजिटल डेस्क, नागपुर. सरकारी योजनाएं समय पर पूरी होंगी या नहीं, इसकी गारंटी नहीं होती। योजनाओं के प्रस्ताव और प्रशासकीय मंजूरी के बाद अलग-अलग विभागों के पेंच में उलझी याेजनाएं साकार होने में बरसों लग जाते हैं। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) से संलग्न सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में छह साल बाद भी ब्लड कम्पोनेंट यूनिट तैयार नहीं हो सका है। अलग-अलग पेंच के चलते इस यूनिट को तैयार होने में विलंब हो रहा है। अब लोकनिर्माण विभाग द्वारा अलग कक्ष तैयार किया जाने वाला है। इसके लिए अलग से 25 लाख रुपए की आवश्यकता है। इस निधि का जुगाड़ किया जा रहा है। जब कक्ष तैयार होगा, तब ही इस यूनिट के लिए जरूरी मशीनें लग पाएंगी। इसकी निश्चित अवधि नहीं है।
एफडीए के नियमानुसार तैयार नक्शा
मेडिकल से संलग्न सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में ब्लड कम्पोनेंट यूनिट तैयार करने के लिए 2017 में प्रस्ताव भेजा गया था। 2019 में इसे प्रशासकीय मान्यता के साथ 60 लाख रुपए की निधि मंजूर की गई थी। ब्लड कम्पोनेंट यूनिट के लिए अन्न व औषधि प्रशासन (एफडीए) के मानकों के अनुसार नक्शा मंजूर करवाना पड़ता है। लोकनिर्माण विभाग ने नक्शा तैयार कर दिया। इसे एफडीए ने मंजूर कर दिया है। पहलीबार तैयार किया गया नक्शा एफडीए के मानको के अनुसार नहीं होने से दूसरी बार नक्शा तैयार किया गया। इस प्रक्रिया में दो साल लग गए।
लोकनिर्माण विभाग तैयार करेगा विशेष कक्ष :सुपर में जहां यह यूनिट स्थापित करना है, वह स्थान निश्चित किया गया है। इस विशेष कक्ष के निर्माण के लिए सार्वजनिक लोक निर्माण विभाग को जिम्मेदारी दी गई है। विभाग ने इस कक्ष के निर्माण के लिए अनुमानित लागत 25 लाख रुपए खर्च बताया है। जब तक यह राशि नहीं मिलेगी, तब तक लोकनिर्माण विभाग द्वारा कक्ष निर्माण नहीं किया जा सकेगा, इसलिए अब मेडिकल प्रशासन ने इस राशि के लिए प्रयास शुरु कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि, इस निधि के लिए जिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से प्रयास किया जा रहा है।
हाफकिन ने लौटायी राशि
सूत्रों के अनुसार ब्लड कम्पोनेंट यूनिट के लिए जरूरी मशीनों के लिए प्राप्त निधि हाफकिन कंपनी को सौंपी गई थी। तीन साल तक हाफकिन मशीन खरीदी प्रक्रिया पूरी नहीं कर पायी। मुख्य एफरेसिस और सेप्रेशन मशीन की आवश्यकता है। मशीन खरीदी नहीं होने के कारण हाफकिन ने मेडिकल को पैसे लौटा दिए। सूत्रों के अनुसार अब फिर से पूरी प्रक्रिया करनी पड़ रही है।
मरीजों के लिए रक्त घटक जरूरी
सुपर स्पेशालिटी अस्पताल में किडनी, लिवर, हार्ट, ब्रेन आदि के मरीज आते हैं। इन मरीजों को उपचार के दौरान प्लेटलेट्स, प्लाज्मा व पीआरसी, (आरसीबी) डब्ल्यूबीसी नामक अलग-अलग रक्त घटक की आवश्यकता होती है, लेकिन सुपर स्पेशलिटी की ब्लड बैंक में रक्त विघटन प्रक्रिया नहीं होती। परिणामस्वरूप मरीजों को होल ब्लड देेने के अलावा विकल्प नहीं होता, इसलिए गरीब मरीजों को बाहर से महंगे दामों पर आवश्यकता अनुसार रक्त घटक खरीदकर लाना पड़ता है।