धर्म ज्ञान: वृद्धाश्रम बनना कलंक है, अनाथालय हो सकते हैं- पं. नंदकिशोर पाण्डेय
- ज्वाला माता मंदिर परिसर में ज्वाला माता मंडल के तत्वावधान में आयोजन
- पं. नंदकिशोर पाण्डेय ने कहा वृद्धाश्रम बनना कलंक है
डिजिटल डेस्क, नागपुर | समाधान नगर, ज्वाला माता मंदिर परिसर में ज्वाला माता मंडल के तत्वावधान में 11 दिसंबर तक पं. नंदकिशोर पाण्डेय की संगीतमय श्रीमद्देवी भागवत महापुराण ज्ञानयज्ञ में तीसरे दिन आचार्य प्रवर ने कहा कि ‘महाभारत के देवव्रत-शांतनु’ संवाद के संदेश की समाज को जरूरत है, उस पुत्र को धिक्कार है, जो माता-पिता को सुखी ना करे। वृद्धावस्था में जब संतान उनका ध्यान नहीं रखती तब मां-बाप का हृदय विदीर्ण हो जाता है। पिता से पुत्र को ज्यादा अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए। वह पुत्र श्रेष्ठ है, जो माता-पिता की हर जरूरत बिना बोले पूर्ण करे, वह श्रेष्ठ पुत्र है। मध्यम श्रेष्ठ पुत्र वह जो मांगने पर देता है। अधम पुत्र वह जो कुछ नहीं करता। आज हम देख रहे हैं वृद्धाश्रम की संख्या बढ़ रही है। संताने मां-बाप की सेवा से आज कतरा रही हैं। यह समाज का कलंक है, अनाथालय हो सकते हैं, जिसमें अनाथ बच्चों को सहारा मिले, लेकिन वृद्धाश्रम तो साज का दुर्भाग्य होगा। इसी के साथ ही आचार्य ने महाभारत की कथा, मां भुवनेश्वरी के दिव्य धाम की कथा विस्तार से कही।
आज का व्यास पूजन-आरती नरेश बरड़े परिवार, शशिकांत बोदड़ परिवार, राजू मिश्रा, प्रमोद सोनी परिवार ने किया। सफलतार्थ सचिन शर्मा, सचिन निवाते, राम पांडे, बंटी नागुरकर, श्याम पांडे, सोनू तिवारी, अक्षय चौधरी, प्रमोद सोनी, आकाश शर्मा प्रयासरत हैं। आयोजक मंडल ने श्रद्धालुओं से दोपहर 2 से शाम 6 बजे तक 11 दिसंबर तक कथ का लाभ लेने का अनुरोध किया है। सोमवार, 4 दिसंबर को सुदर्शन चरित्र, नवरात्रि व कुमारीपूजन का महात्म प्रसंग होगा।