आंदोलन: हक के लिए हड़ताल, दबाव का नोटिस

हड़ताल के चलते जिले की 2 हजार आंगनवाड़ियां बंद

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-05 05:47 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आंगनवाड़ी कर्मचारियों की हड़ताल को एक महीना पूरा हो गया। मांगें पूरी नहीं होने से वे हड़ताल पर डटी हैं। जब तक शासनादेश जारी नहीं होता, तब तक उन्होंने आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है। वहीं, सरकार ने दबाव बनाने के लिए हड़ताली आंगनवाड़ी कर्मचारियों को कार्यमुक्त करने की नोटिस थमाने की शुरुआत कर दी है। 4 दिसंबर से हड़ताल के चलते जिले की 2 हजार आंगनवाड़ियां बंद हैं। हड़ताली कर्मचारियों ने चाबियां अपने पास रखी हैं। सूत्रों ने बताया कि इस कारण गर्भवती, स्तनदा माता तथा बालकों को जनवरी महीने का पोषण आहार वितरित नहीं किया जा सका। 

जिले में 2212 आंगनवाड़ियां : जिले में 2212 अांगनवाड़ियां हैं। आंगनवाड़ियों के माध्यम से गर्भवती, स्तनदा माता, 6 महीने से 3 साल के बालकों को घर ले जाने के लिए पोषण आहार दिया जाता है। 3 साल से 6 साल उम्र के बालकों को आंगनवाड़ी में पकाया हुआ पोषण आहार दिया जाता है। दिसंबर महीने का पोषण आहार वितरण किया गया। हड़ताल के चलते जनवरी महीने का पोषण आहार वितरण नहीं हो पाया।

एक संगठन काम पर लौटा : आंदोलन की शुरूआत में सभी आंगनवाड़ी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। सरकार की ओर से उनकी मांगें जल्द पूरी करने का आश्वासन मिलने पर एक संगठन ने हड़ताल से कदम पीछे ले लिए। उस संगठन से जुड़े 200 आंगनवाड़ियों के कर्मचारी काम पर वापस लौटे। 2 हजार आंगनवाड़ियां अभी भी बंद हैं।

उधार लेकर पोषण आहार वितरण : आंगनवाड़ी कर्मचारियों द्वारा चाबियां नहीं लौटाने से पोषण आहार ताले में बंद है। स्कूलों से उधार लेकर कुछ आंगनवाड़ियों में पोषण आहार वितरण किए जाने की सूत्रों ने जानकारी दी।

पहली बार लंबी हड़ताल : आंगनवाड़ियों की शुरुआत हुई, तब से पहली बार इतने लंबे समय तक हड़ताल चली। आंगनवाड़ियों को ताले लगे रहने से गर्भवती, स्तनदा माता, बच्चे पोषण आहार से वंचित है। जनवरी और फरवरी महीने का लाभार्थियों को पोषण आहार वितरण का प्रशासकीय स्तर पर नियोजन नहीं होने से कुपोषण व बाल मृत्यु के आंकड़े बढ़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

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