विशेष अध्ययन: दुनिया का पहला जल विश्वविद्यालय बुंदेलखंड में प्रस्तावित
- दुनिया का पहला जल विश्वविद्यालय
- बुंदेलखंड में है प्रस्तावित
- पद्मश्री पांडेय ने कहा -जिलाधिकारी ने जांच के बाद प्रस्ताव उप्र सरकार को भेजा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. बुंदेलखंड क्षेत्र पानी की कमी और सूखे की समस्या के लिए जाना जाता है। लेकिन जल्द ही देश और दुनियाभर के बच्चे ‘जल संरक्षण’ का पाठ पढ़ने बुंदेलखंड पहुंचेंगे। दरअसल पद्मश्री से सम्मानित ‘जल योद्धा’ उमाशंकर पांडेय और यूनिवर्सिटी ऑफ गोथेनबर्ग, स्वीडन में जलवायु परिवर्तन के प्रोफेसर डॉ रविकांत पाठक ने हमीरपुर के रिरूईपारा गांव में जल विश्वविद्यालय खोलने का बीड़ा उठाया है। हमीरपुर जिले में जल विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव उत्तरप्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग में लंबित है। माना जा रहा है कि सरकार की ओर से जल्द ही इस प्रस्ताव पर मुहर लग जाएगी। यह विश्वविद्यालय प्रो पाठक द्वारा दान की गई 25 एकड़ जमीन पर खुलना है। पद्मश्री पांडेय ने बताया कि रिरूईपारा में जल विश्वविद्यालय बनाने के प्रस्ताव को हमीरपुर के जिलाधिकारी डॉ चंद्र भूषण ने जांच के उपरांत पिछले 30 अगस्त को ही आगे की कार्यवाही के लिए उच्च शिक्षा विभाग, उत्तरप्रदेश को भेज दिया है। उन्होंने बताया कि यह दुनिया का पहला जल विश्वविद्यालय होगा। इसके लिए अतिरिक्त 25 एकड़ जमीन अधिग्रहित की जाएगी और पूरे 50 एकड़ में जल विश्वविद्यालय स्थापित होगा।
विवि में पुरखों की जल जोड़ने की विधियों का होगा विशेष अध्ययन
प्रो पाठक ने बताया कि यह एक ऐसा निजी विशिष्ट विश्वविद्यालय होगा, जहां विद्यार्थी जल की कमी से पैदा हाे रही समस्याओं के समाधान के लिए पुरातन और अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से जल के महत्व से परिचित होंगे। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय में सरकार और यूजीसी के नियमानुसार पुरखों की जल जोड़ने की बेजोड़ विधियों के बारे में विशेष अध्ययन होगा। जिस तरह से पूरे विश्व में जल संकट बढ़ रहा है, उसके मद्देनजर यह विश्वविद्यालय न सिर्फ बुंदेलखंड बल्कि देश और दुनियाभर के लोगों को जल के महत्व से परिचित कराएगा।