याचिका: कामगार यूनियन ने माथाडी कामगारों के हक के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में लगाई गुहार
- याचिका में नासिक के एपीएमसी मार्केट से माथाडी कामगारों के मेहनताना का अनुरोध
- 27 मई को मामले की अगली सुनवाई
- बॉम्बे हाई कोर्ट से ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी को लगा झटका
डिजिटल डेस्क, मुंबई. महाराष्ट्र राज्य माथाडी ट्रान्सपोर्ट एंड जनरल कामगार यूनियन ने माथाडी कामगारों के हक और मेहनताने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में गुहार लगाई है। याचिका में दावा किया गया है कि नासिक के एपीएमसी मार्केट में काम करने वाले माथाडी कामगारों को पिछले एक महीने से मेहनताने की राशि नहीं मिल रही है। अदालत ने मामले की सुनवाई 27 मई को रखी है। न्यायमूर्ति एन.आर.बोरकर और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरसेन की खंडपीठ के समक्ष महाराष्ट्र राज्य माथाडी ट्रांसपोर्ट एंड जनरल कामगार युनियन की ओर से वकील संजय शिंदे की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील संजय शिंदे ने दलील दी कि नासिक के कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) मार्केट में रजिस्टर्ड 5010 माथाडी, मापारी और हमाल काम करते हैं। एपीएमसी मार्केट से उन्हें मेहनताना की राशि यूनियन के माध्यम से मिलती है। नासिक जिले के 16 कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री 10 कृषि उप समिति के माध्यम से होता है। माथाडी कामगारों के जरिए कृषि उत्पादों के सारे काम किए जाते हैं। एपीएमसी मार्केट ने एक महीने से माथाडी कामगारों का मेहनताना नहीं देना बंद कर दिया है। मार्केट में माथाडी कामगारों के बजाय बाही कामगारों से काम कराया जा रहा है। राज्य सरकार के सर्कुलर और माथाडी एक्ट का एपीएमसी मार्केट में उल्लंघन हो रहा है। एपीएमसी मार्केट में रजिस्टर्ड माथाडी कामगारों को काम देने के बजाय बाहर से वर्करों को लाया जा रहा है। सुनवाई के दौरान नाशिक एपीएमसी मार्केट की ओर से पेश वकील ने खंडपीठ से समय की मांग की। खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 27 मई को रखी है।
बॉम्बे हाई कोर्ट से ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी को लगा झटका
दूसरे मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट से ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी को झटका लगा है। अदालत ने सड़क दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के परिजनों को 6 लाख 12 हजार 814 रुपए मुआवजा की राशि और उस पर 7.5 फीसदी याचिका दायर करने से लेकर प्रति वर्ष ब्याज देने का निर्देश है। अदालत ने बीमा कंपनी की पुणे के मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति शिवकुमार डिगे की एकलपीठ के समक्ष ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में ट्रिब्यूनल द्वारा 10 लाख 2 हजार रुपए मृतक की पत्नी को देने के फैसले को चुनौती दी गयी थी। जबकि मृतक की मां ने ट्रिब्यूनल से 16 लाख 14 हजार 814 रुपए की मुआवजा राशि के लिए आवेदन किया था। पीठ ने न केवल ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा, बल्कि मृतक की पत्नी के दावे में से ट्रिब्यूनल के 6 लाख 12 हजार 814 रुपए की राशि को भी ब्याज के साथ देने का निर्देश दिया है। बीमा कंपनी के वकील ने कहा कि 31 मार्च 2005 को पुणे-मुंबई एक्सप्रेस हाईवे पर ढेकू गांव के पास दुर्घटना ट्रक चालक की लापरवाही के कारण हुई। ट्रक ने बस और पुणे के कर्मचारियों के साथ मुंबई की ओर जा रही इंडिका कार को टक्कर मार दी। इसमें कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई और कार में सवार व्यक्ति की मौत हो गयी। पुलिस ने ट्रक के चालक के खिलाफ मामला दर्ज किया था।