सवाल: आरटीई के तहत दाखिले के बाद पांचवीं और आठवीं में फेल होने वाले बच्चों की कौन चुकाएगा फीस
- नो फेल नीति में बदलाव के बाद उठे सवाल
- पांचवीं और आठवीं में फेल होने वाले बच्चों की कौन फीस चुकाएगा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। आठवीं तक विद्यार्थियों को फेल न करने की नीति खत्म होने के बाद अब पांचवीं और आठवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा में फिर से विद्यार्थी फेल हो रहे हैं। इसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर जिन विद्यार्थियों को दाखिला मिला है क्या सरकार दोबारा उनकी फीस भरेगी। दरअसल कई स्कूलों की पांचवीं और आठवीं की वार्षिक परीक्षा में जो विद्यार्थी असफल रहे हैं उनमें आरटीई के तहत दाखिला लेने वाले विद्यार्थी भी है। ऐसे में कुछ स्कूलों ने इन विद्यार्थियों सवाल पूछना शुरू कर दिया है कि दोबारा उसी कक्षा में पढ़ने के लिए उनकी फीस कौन भरेगा। कई स्कूलों ने आठवीं में असफल बच्चों को लीविंग सर्टिफिकेट भी देना शुरू कर दिया है।
आप पालक यूनियन के मुकुंद किर्दत ने इस मुद्दे पर राज्य के शिक्षा आयुक्त और शिक्षा निदेशक (प्राथमिक) को पत्र लिखकर इस बाबत जानकारी मांगी। इसके बाद अब शिक्षा निदेशक (प्राथमिक) शरद गोसावी ने स्कूली शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर पूछा है कि क्या आरटीई के तहत दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के फेल होने पर दोबारा उनकी फीस सरकार की ओर से चुकाई जाएगी। किर्दत ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून के मुताबिक जिन विद्यार्थियों को आरटीई के तहत दाखिला मिलता है उन्हें 14 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद भी प्राथमिक शिक्षा पूरी होने तक मुफ्त शिक्षा का अधिकार मिलता है। ऐसे में सरकार को असफल होने वाले विद्यार्थियों की भी फीस चुकानी चाहिए।