सुप्रीम कोर्ट: नवनीत राणा का आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने का रास्ता साफ, बदला हाईकोर्ट का फैसला
- सुप्रीम कोर्ट ने राणा के फर्जी जाति प्रमाणपत्र को ठहराया वैध
- बदला हाईकोर्ट का फैसला
- हाईकोर्ट को समिति के निष्कर्षों में दखल देने की जरुरत नहीं थी
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने नवनीत राणा के फर्जी जाति प्रमाणपत्र मामले में एक महीने से भी अधिक समय तक सुरक्षित रखे फैसले को आखिरकार गुरुवार को सुना दिया है। शीर्ष अदालत ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें राणा के जाति प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया था और उन पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।उल्लेखनीय यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला ऐसे समय और दिन पर सुनाया है जिस दिन (4 अप्रैल को) उन्होंने अपना नामांकन पत्र भरा है। शीर्ष अदालत के इस फैसले से उन्हें न केवल राहत मिली है, बल्कि उनका आरक्षित अमरावती लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का रास्ता भी साफ हो गया है। 2019 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा पहुंची नवनीत राणा को भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अमरावती से टिकट दिया है।
हाईकोर्ट को समिति के निष्कर्षों में दखल देने की जरुरत नहीं थी
फैसला सुनाते हुए जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने कहा कि स्क्रूटनी समिति ने विवेक बुद्धि का प्रयोग और उचित दस्तावेजों पर विचार करने के बाद राणा को जाति प्रमाण पत्र जारी किया था। इसके अलावा सभी पक्षों को सुना गया और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का अनुपालन किया गया। ऐसे में समिति के निष्कर्षों में हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करने की जरुरत नहीं थी। शीर्ष अदालत ने राणा की अपील को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को रद्द किया और जांच समिति द्वारा पारित सत्यापन आदेश को बहाल कर दिया।
यह था मामला
नवनीत राणा पर अमरावती की आरक्षित सीट से 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनवाने के लिए फर्जी दस्तावेज इस्तेमाल करने का आरोप था। शिवसेना नेता और पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 8 जून 2021 को राणा के जाति प्रमाणपत्र को अवैध करार देते हुए कहा था कि उनके द्वारा फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके मोची जाति का कास्ट सर्टिफिकेट बनवाया गया। हाईकोर्ट ने राणा पर दो लाख का जुर्माना भी लगाया था। इसके बाद नवनीत राणा ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।