बच्चों को डिहाइड्रेशन से बचाने स्कूलों में हो वॉटर बेल, पानी पीने के लिए बजे घंटी

  • देश में डिहाइड्रेशन से हर साल10 हजार बच्चों की मौत
  • स्कूलों में वॉटर ब्रेक है जरूरी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-23 15:34 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ रही है। गर्मी से बच्चों में डिहाइड्रेशन की तकलीफ बढ़ रही है। इससे बचाने के लिए बाल रोग विशेषज्ञों ने कई सुझाव दिए हैं। इनमें प्रमुख रूप से केरल, झारखंड, हरियाणा सहित देश के अन्य राज्यों की तर्ज पर महाराष्ट्र के स्कूलों में ‘वॉटर बेल' शुरू करने पर जोर दिया है। इससे गर्मियों के दौरान बच्चे पर्याप्त पानी पी सकेंगे और उनके शरीर में पानी की कमी नहीं होगी। देश में डायरिया की बीमारीबच्चों की मौत का तीसरा सबसे प्रमुख कारण है। एक आंकड़े के मुताबिक पांच साल से कम आयु के बच्चों में डायरिया और उसके कारण होनेवाले डिहाइड्रेशन से हर साल 10 हजार बच्चे दम तोड़ देते हैं। हालांकि डिहाइड्रेशन में शुरुआती उपचार ओआरएस का घोल बच्चों के लिए काफी कारगर है। लेकिन सिर्फ 60 फीसदी बच्चों को ही डायरिया पर ओआरएस दिया जाता है। शेष 40 फीसदी बच्चे अभी भी इसकी पहुंच से दूर हैं। इसके पीछे की वजह अभिभावकों के बीचओआरएस के इस्तेमाल के प्रति जागरूकता की कमी है। इसके प्रति जनजागृति लाने का कार्य हील फाउंडेशन कर रहा है। इसी के तहत मीडिया और रेडियो के जरिए अभिभावकों को ओआरएस के इस्तेमाल के लिए जागरूक किया जारहा है।

स्कूलों में वॉटर ब्रेक है जरूरी

पीडियाट्रिक गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. ललित वर्मा ने बताया कि देश में डिहाइड्रेशनसे महाराष्ट्र के करीब दो हजार बच्चे मौत का शिकार हो जाते हैं। रोजाना उनकी ओपीडी में आनेवाले 20 फीसदी बच्चेपानी का कम इस्तेमाल करने वाले होते हैं। इसलिए महाराष्ट्र के स्कूलों में भी वॉटर ब्रेक होना चाहिए। राज्य सरकार को कम से कम प्रयोग के रूप में एक या दो शहर में इसे शुरू करना चाहिए। केरल सहित कई राज्यों में सिर्फ पानी पीने के लिए दो से तीन बार घंटी बजती है।

शुगर ड्रिंक से बचें

नानावटी अस्पताल के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. विभोर बोरकर ने कहा कि आमतौर पर डायरिया होने पर शुरुआत से ही ओआरएस पीने की सलाह दी जाती है। लेकिन अक्सर अभिभावक जानकारी के अभाव में ओआरएस की तरह दिखने वाले शुगर ड्रिंक का इस्तेमाल करते हैं जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित होता है। इससे डायरिया बढ़ जाता है।

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