अनोखा कदम: वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कामा अस्पताल में बना शहरी जंगल, मरीजों के लिए शुद्ध हवा
- मियावाकी पद्धति की मदद से बनाया गया तीन मिनी शहरी जंगल
- तीसरे मिनी वन में 11 हजार पौधे
डिजिटल डेस्क, मुंबई. कोरोना के दौरान शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही थी। उस समय कई मरीजों को कृत्रिम ऑक्सीजन दी जा रही थी। हालांकि कृत्रिम ऑक्सीजन मिलने में भी दिक्कतें आती थी। कंक्रीट के जंगल में बदल चुके मुंबई में पेड़ों की कमी से ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो गई है। साथ ही बढ़ता प्रदूषण भी सेहत के लिए हानिकारक साबित हो रहा है, ऐसे में इन सबसे बचने के लिए कामा अस्पताल में तीन मिनी शहरी जंगल बनाया गया है। मियावाकी तकनीक से बना यह शहरी जंगल जहां प्रदूषण को रोकने में मददगार साबित होगा वहीं इससे मरीजों को भी शुद्ध हवा मिलेगी।
राज्य सरकार का कामा अस्पताल एंड अल्बेलस अस्पताल महिलाओं और बच्चों के इलाज के लिए जाना जाता है। इस अस्पताल में मरीजों का हर तरह का इलाज किया जाता है। अस्पताल में एक छोटा बगीचा था, लेकिन उसमें नाममात्र के पेड़ थे। साथ ही उस पार्क के नीचे सिमेंट कंक्रीट की एक परत थी। मौजूदा हालत को देखते हुए अस्पताल परिसर में शहरी जंगल बनाने का निर्णय लिया गया। कामा अस्पताल के अधीक्षक डॉ. तुषार पालवे ने बताया कि इस खुले बगीचे में मियावाकी पद्धति से यहां मिनी शहरी जंगल बनाने की शुरुआत कोविड काल मे की गई थी। अब धीरे-धीरे करके अस्पताल में तीन शहरी जंगल हो गए है। इस तीसरे शहरी मिनी वन कि शुरुआत इसी महीने की गई।
तीसरे मिनी वन में 11 हजार पौधे
डॉ. तुषार ने बताया कि तीसरा मिनी वन ग्रीनजैप ग्रो फाउंडेशन के माध्यम से 8000 वर्ग फुट के क्षेत्र में बनाया जा रहा है। इसमें अडुलसा, आंवला, दालचीनी, गोंद, बादाम, फनास, कडीपत्ता, आम, कोकम, नागचाफा, करवंद, पिंपल, सोनचाफा, सुपारी, तेजपत्ता, वड, रीठा, पारिजात जैसी 46 प्रजातियों के देशी और आयुर्वेदिक गुणवाले 2500 पौधे शामिल हैं।
पहले से ही दो मिनी वन
ग्रीनजैप ग्रो फाउंडेशन के निदेशक अरदीप राठौड़ ने बताया कि कामा अस्पताल में दो मियावाकी शैली के वन पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। इसमें करीब साढ़े आठ हजार पौधे लगाए गए हैं। पहला मियावाकी वन 2020-21 में बनाया गया था। इस बार 15 हजार वर्गफीट पर 7026 पौधे लगाए गए। दूसरा मियावाकी वन 2022 में स्थापित किया गया था, जिसमें 7,000 वर्ग फुट के क्षेत्र में 1,500 पेड़ लगाए गए थे।
वाष्पीकरण को रोकने के लिए प्लास्टिक कवर
डॉ. तुषार ने बताया कि पेड़ों की देखभाल करने, दिन में दो बार पेड़ों को पानी देने, उचित जल आपूर्ति के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करने के लिए एक विशेष माली की व्यवस्था की जाती है। पेड़ों पर लगे पानी के वाष्पीकरण को रोकने के लिए पेड़ों के चारों ओर प्लास्टिक कवर लगाया गया है।
गर्मी में लोगों को मिल रही है राहत
इस शहरी वन का उद्देश्य कम जगह में अधिक पेड़ लगाना और ऑक्सीजन पैदा करना है। इस अस्पताल के मियावाकी जंगल से मरीज और उनके परिजनों को जहां शुद्ध हवा मिल रही है वहीं इस गर्मी में अस्पताल में आए लोगों को यहां छांव भी मिल रही है।