सुप्रीम कोर्ट: विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के खिलाफ उद्धव खेमे की याचिका पर 22 को होगी सुनवाई
- उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 22 जनवरी को सुनवाई करेगा
- विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के खिलाफ याचिका
- शिंदे गुट को असली शिवसेना बताने का मामला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा विधायकों की अयोग्यता को लेकर सुनाए फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 22 जनवरी को सुनवाई करेगा। इस मामले का बुधवार को उद्धव खेमे के वकील कपिल सिब्बल ने देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (सीजेआई) के समक्ष उल्लेख किया। उन्होंने यह कहते हुए सीजेआई से पूछा कि यह मामला शुक्रवार (19 जनवरी) के लिए सूचीबद्ध है। क्या इस पर सोमवार (22 जनवरी) को सुनवाई हो सकती है।
इस पर सीजेआई सहमत हुए और उन्होंने इस पर सुनवाई आने वाले शुक्रवार को मुकर्रर कर दी। गौरतलब है कि उद्धव खेमे ने विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के खिलाफ 15 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने शिंदे गुट को असली शिवसेना बताने और उनके खेमे के विधायकों को अयोग्य घोषित करने से इंकार करने के फैसले को भी चुनौती दी है। उसी दिन, मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने भी बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा उद्धव ठाकरे खेमे के 14 विधायकों को अयोग्य ठहराने से इंकार करने को चुनौती दी गई।
इससे पहले शिवसेना (शिंदे) विधायकों की अयोग्यता के फैसले को लेकर मंगलवार को शिवसेना (उद्धव) पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर आमने-सामने दिखे। दोनों ने ही एक दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर मंगलवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने के अपने फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों पर आधारित हैं। जून 2022 में शिवसेना में विभाजन के बाद शिंदे और ठाकरे गुटों द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर 10 जनवरी के फैसले को लेकर ठाकरे द्वारा एक संवाददाता सम्मेलन में निशाना साधे जाने के तुरंत बाद नार्वेकर ने बयान किया।
नार्वेकर ने फैसले को भी उचित ठहराया
विधानसभाध्यक्ष नार्वेकर ने अविभाजित शिवसेना के 2018 के संशोधित संविधान को स्वीकार नहीं करने के अपने फैसले को भी उचित ठहराया। उन्होंने कहा कि पार्टी ने तब निर्वाचन आयोग को केवल उद्धव ठाकरे के पार्टी प्रमुख होने के बारे में सूचित किया था, उन्होंने कहा कि मेरा फैसला उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों पर आधारित था। नार्वेकर ने कहा कि किसी पार्टी द्वारा बनाए गए नियम सिर्फ कागज पर नहीं होने चाहिए बल्कि उन्हें लागू किया जाना चाहिए।