प्रश्नकाल: उदय सामंत ने कहा - पालघर के वाडा में बनेगी नई एमआईडीसी, अजित बोले- पुरानी पेंशन को लेकर अधर में नहीं छोड़ेगी सरकार

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-01 16:13 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पालघर जिले के वाडा तहसील में नई एमआईडीसी बनाई जाएगी। विधान परिषद में राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने यह जानकारी दी। सोमवार को प्रश्नकाल में शिवसेना (उद्धव) के सदस्य विलास पोतनीस ने वाडा से उद्योग दूसरी जगहों पर स्थलांतरित करने के संबंध में सवाल पूछा था। इस पर सामंत ने कहा कि फिलहाल वाडा में नई एमआईडीसी बनाने के लिए 234 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण का काम शुरू किया गया है। नई एमआईडीसी में अग्निशमन दल की भी व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा वाडा की निजी कंपनियों के इलाकों में सड़कों के निर्माण के लिए सरकार ने 64 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए हैं।

सामंत ने सूचित किया कि वाडा से एक भी कंपनी कहीं स्थलांतरित नहीं हुई है। विराज कंपनी 6 हजार 500 करोड़ रुपए का निवेश करने वाली है। सामंत ने बताया कि वाडा में 2,777 निजी उद्योग हैं। मुख्यमंत्री रोजगार निर्माण योजना के तहत सन 2023-24 में 89 प्रस्तावों को मंजूर किया गया है। सामंत ने दावा किया कि वाडा में बिजली दर महंगी होने के बाद भी कोई उद्योग अन्य राज्य में स्थलांरित नहीं हुआ है। सरकार कंपनियों को बिजली दर में विभिन्न प्रकार की सहूलियत दे रही है। सामंत ने साफ किया कि विधानसभा चुनाव के पहले दावोस में पिछले तीन साल में हुए करार के बारे में श्वेतपत्र लाया जाएगा।

पुरानी पेंशन को लेकर कर्मचारियों को अधर में नहीं छोड़ेगी सरकारः अजित पवार

राज्य के अर्ध-सरकारी और अनुदानित संस्थानों में काम करने वाले शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी पहले जारी किए गए विज्ञापन के अनुसार बाद की अवधि में सेवा में शामिल हुए तो ऐसे कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का विकल्प देने के लिए अगले तीन महीनों के भीतर निर्णय लिया जाएगा। वित्त मंत्री अजित पवार ने सोमवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। भाजपा के संजय केलकर,आशीष शेलार व कांग्रेस के बालासाहेब थोरात यह सवाल उठाया था। अजित ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के पेंशन के मुद्दे को लेकर संवेदनशील है। पवार ने कहा कि सरकार ने हाल ही में उन सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का विकल्प देने का फैसला किया है जो 1 नवंबर 2005 से पहले और उसके बाद सरकारी सेवा में शामिल हुए थे। इस निर्णय में केवल सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को केंद्र सरकार की तर्ज पर महाराष्ट्र सिविल सेवा पेंशन नियम 1982 और महाराष्ट्र सिविल सेवा सेवानिवृत्ति वेतन नियम 1984 और सामान्य भविष्य निधि नियम के प्रावधानों का विकल्प दिया गया है। पवार ने यह भी बताया कि यह निर्णय फिलहाल अर्ध-सरकारी और सहायता प्राप्त संस्थानों में काम करने वाले शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों पर लागू नहीं किया जाएगा, क्योंकि मामला अदालत में विचाराधीन है। अजित ने कहा कि हम सहानुभूतिपूर्वक फैसला लेंगे। अधिकारियों और कर्मचारियों को बेसहारा नहीं छोड़ा जाएगा।

89 हजार करोड़ का बिजली बिल बकाया- फडणवीस

सरकारी बिजली कंपनी महावितरण का दिसंबर 2023 तक छोटे और बड़े बिजली ग्राहकों पर करीब 87 हजार 815 करोड रुपए का बिजली बिल बकाया था। जिसमें राज्य भर में करीब पौने चार करोड़ बिजली ग्राहक और एक करोड़ 66 हजार कृषि पंप धारक शामिल हैं। अब यह आंकड़ा मार्च 2024 तक 89 हजार 321 करोड रुपए पहुंच गया है। जिसमें 30 हजार 545 करोड़ रुपए ब्याज और दंड के रूप में हैं। सरकार बिजली के बकाया बिलों को वसूलने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। हजारों लोगों की बिजली खंडित की गई है, इसके अलावा बिजली अधिनियम 2003 के अनुसार नोटिस देकर विशेष वसूली भी की जा रही है। विधानसभा में पूछे सवाल के लिखित जवाब में राज्य के उपमुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह जानकारी दी। उर्जामंत्री ने मीडिया में आई उन खबरों को बेबुनियाद बताया जिसमें कहा गया था कि महावितरण को आर्थिक नुकसान होने की वजह से कर्मचारियों के वेतन और दूसरे खर्चों को लेकर सरकारी बिजली कंपनी आर्थिक संकट में है। सपा के अबू आसिम आजमी ने यह सवाल पूछा था।

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