दसवीं में इस साल 93.83 फीसदी विद्यार्थी सफल, परिणामों पर दिखा कोरोना का असर
- कोंकण विभाग अव्वल, नागपुर पिछड़ा
- 151 विद्यार्थियों को राज्य में 100 % अंक मिले
- 92.49 % दिव्यांग रहे सफल
- 96.94 % विद्यार्थी सफल रहे थे पिछली साल
- 3.11 % कम विद्यार्थी सफल हुए इस साल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र बोर्ड ने शुक्रवार को 10वीं के नतीजे जारी किए, जिनमें 93.83 फीसदी विद्यार्थी सफल रहे हैं। राज्य में परीक्षा देने वाले 15 लाख 29 हजार 96 विद्यार्थियों में से 14 लाख 34 हजार 898 सफल रहे हैं। राज्य में 151 विद्यार्थी ऐसे हैं, जिन्हें 100 फीसदी अंक मिले हैं। पिछले वर्ष 96.94 फीसदी सफल रहे थे, जबकि इस वर्ष 3.11 फीसदी कम विद्यार्थी सफल हुए हैं। पिछले चार वर्षों में यह सबसे खराब नतीजे रहे हैं और परिणामों पर कोरोना संक्रमण के बाद हो रही ऑफलाइन परीक्षाओं का असर नजर आया है। दादर पश्चिम स्कूल बालमोहन विद्यामंदिर की छात्राएं रिजल्ट आने के बाद खुशी से झूम उठीं।
लड़कियां एक बार फिर रहीं आगे
कोंकण विभाग ने 98.11 फीसदी विद्यार्थियों के साथ एक बार फिर अव्वल रहा है, जबकि 92.05 फीसदी सफल विद्यार्थियों के साथ नागपुर विभाग सबसे पीछे है। लड़कियां एक बार फिर लड़कों को पीछे छोड़ने में कामयाब रहीं हैं और 91.95 फीसदी लड़कों के मुकाबले 95.49 फीसदी लड़कियों ने कामयाबी हासिल की है। दोबारा परीक्षा देने वाले 36 हजार 648 विद्यार्थियों में से 22 हजार 320 यानी 60.90 फीसदी सफल रहे हैं। प्राइवेट परीक्षा देने वाले 20 हजार 574 विद्यार्थियों में से 15 हजार 277 यानी 74.25 फीसदी सफल रहे हैं। राज्य में 8312 दिव्यांगों ने भी दसवीं की परीक्षा दी थी, जिनमें से 7688 यानी 92.49 फीसदी सफल रहे हैं।
‘कोरोना की राहत खत्म, इसलिए खराब नतीजे’
कोरोना संक्रमण के चलते पिछले पिछले दो वर्षों से पाठ्यक्रम (सिलेबस) कम करने से लेकर अतिरिक्त समय देने तक विद्यार्थियों को कई राहत दी गई थी। लेकिन इस बार ऐसी कोई राहत नहीं मिली। कोरोना संक्रमण के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए इस बार बड़ी चुनौती थी। महाराष्ट्र बोर्ड के अध्यक्ष शरद गोसावी ने कहा कि पिछले वर्ष विद्यार्थियों को आधे घंटे का समय ज्यादा दिया गया था और पाठ्यक्रम भी 75 फीसदी ही था। विद्यार्थियों के लिखने की गति धीमी हो गई लगती है। इस साल कॉपी मुक्त अभियान भी चलाया गया था, इसका भी कुछ असर पड़ा होगा। 2020 के मुकाबले में नतीजे अपेक्षाकृत कम हैं लेकिन इसकी वजह कठिन प्रश्नपत्र और कमजोर विद्यार्थी भी हो सकते हैं।
शरद गोसावी, अध्यक्ष- महाराष्ट्र बोर्ड के मुताबिक सिर्फ महाराष्ट्र बोर्ड ही नहीं, सीबीएसई, आईसीएसई बोर्ड और दूसरे राज्यों के नतीजों को भी देखें, तो पास होने वाले विद्यार्थियों की संख्या कम हुई दिखती है। कोरोना संक्रमण के चलते विद्यार्थियों की अध्ययन क्षमता पर असर हुआ दिख रहा है।
चार वर्षों में सबसे खराब नतीजे
साल पास हुए (फीसदी)
2020 95.30
2021 99.95
2022 96.94
2023 93.83
जारी रहेगी एटीकेटी की सुविधा
एक या दो विषय में असफल विद्यार्थियों को एटीकेटी की सुविधा मिलेगी। गोसावी ने बताया कि दो विषयों में असफल विद्यार्थी ग्यारहवीं कक्षा में प्रवेश ले सकेंगे। अगर वे 11वीं के नतीजों से पहले इन विषयों में पास नहीं हुए, तो उन्हें मार्कशीट नहीं दी जाएगी।
लातूर पैटर्न का डंका
राज्य में 151 ऐसे विद्यार्थी हैं, जिन्होंने 100 फीसदी अंक हासिल किए हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 108 लातूर से हैं। इसके बाद औरंगाबाद का नंबर है, जहां के 22 विद्यार्थियों को 100 फीसदी अंक मिले हैं। अमरावती के 7, मुंबई के 6, पुणे के 5 और कोकण के 3 विद्यार्थियों ने 100 फीसदी अंक हासिल किए हैं। नागपुर, नाशिक और कोल्हापुर विभागों में किसी विद्यार्थी को 100 फीसदी अंक नहीं मिले। नतीजे बेस्ट ऑफ फाइव के आधार पर घोषित किए जाते हैं, यानी विद्यार्थियों को जिन पांच विषयों में सबसे ज्यादा नंबर मिले हैं, उन्हें लेकर प्राप्त हुए अंक जोड़े जाते हैं। पिछले साल 122 विद्यार्थियों को 100 फीसदी अंक मिले थे।
रिजल्ट पर नजर
100 % रिजल्ट 6844 स्कूलों का
75 % से ज्यादा अंक मिले 4 लाख 89 हजार 455 विद्यार्थियों को