भुजबल का शरद पवार पर निशाना: भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए आठ बार हुई थी चर्चा
- भुजबल पर टिप्पणी कर सकती हूं लेकिन करना नहीं चाहती
- भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए आठ बार हुई थी चर्चा
- भुजबल के खिलाफ अंजलि दमानिया कोर्ट पहुंची
डिजिटल डेस्क, मुंबई. राकांपा में टूट के बाद दोनों गुटों शरद और अजित गुट की चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस बीच दोनों ही गुटों में आपस में भी बयानबाजी जारी है। राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने एक बार फिर राकांपा अध्यक्ष शरद पवार का नाम लिए बगैर उन पर निशाना साधा है। भुजबल ने कहा कि भाजपा के साथ जाने के लिए एक दो बार नहीं बल्कि आठ बार चर्चा हुई थी लेकिन उसके बाद भी सत्ता में भागीदारी नहीं हुई। भुजबल ने कहा कि अगर भाजपा के साथ जाना ही नहीं था तो फिर आठ बार चर्चा क्यों की थी? राकांपा (शरद) कार्याध्यक्ष सुप्रिया सुले ने भुजबल के बयान पर कहा कि मैं उन पर टिप्पणी कर सकती हूं लेकिन करना नहीं चाहती।
भुजबल ने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा कि भाजपा के साथ जाने के लिए राकांपा में कई बार चर्चा हुई थी। खुद शरद पवार ने इसकी पहल की थी। पार्टी के विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के साथ आठ बार भाजपा के साथ जाने के लिए चर्चा हुई थी। सभी बैठकों में फैसला हुआ था कि राज्य के विकास के लिए सत्ता के साथ जाना जरूरी है। जितनी भी बार बैठकें हुईं उतनी बार सभी विधायकों के हस्ताक्षर लिए गए थे। भुजबल ने कहा कि जब भाजपा के साथ जाना ही नहीं था तो फिर सभी विधायकों को आठ बार चर्चा के लिए क्यों बुलाया गया था। भुजबल ने शरद पवार का नाम लिए बगैर कहा कि अगर हमें बैठक कर सत्ता के साथ जाने के लिए कहा गया था तो फिर उससे पीछे क्यों हटना पड़ा। उन्होंने कहा कि मैं शरद पवार पर कोई टिप्पणी करना नहीं चाहता हूं।
राकांपा (शरद) कार्याध्यक्ष सुप्रिया सुले से जब पत्रकारों ने छगन भुजबल के बयान पर प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि मेरी मां ने मुझे ऐसे संस्कार नहीं सिखाए हैं कि अपने से उम्र में बड़े जिन लोगों के साथ मैंने बैठकर खाना खाया है उन रिश्तो को कभी भूलूं। सुले ने कहा कि राकांपा अध्यक्ष शरद पवार पर लगातार टिप्पणी कर रहे भुजबल उम्र में मुझसे बड़े हैं। मैं उन पर टिप्पणी कर सकती हूं लेकिन करना नहीं चाहती।
भुजबल के खिलाफ अंजलि दमानिया कोर्ट पहुंची
सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने छगन भुजबल की संस्थाओं से जुड़ी गड़बड़ियों की जांच के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। दमानिया ने कहा कि भुजबल की संस्थाओं में गड़बड़ियों की जांच सरकार फिर से कब शुरू करेगी? उन्होंने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार भुजबल पर लगे आरोपों के संबंध में पुनर्विचार याचिका कब दायर करेगी? उन्होंने कहा मैंने भुजबल के खिलाफ साल 2013 में शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था और वह कई वर्षों तक जेल में भी रहे थे।