सूखे जैसी स्थिति: सूखा प्रभावितों को केंद्र से मदद मिलने के आसार नहीं, राज्य सरकार ने भेजा है प्रस्ताव

  • 2600 करोड़ रुपए की मदद निधि की मांग
  • राज्य सरकार ने भेजा है प्रस्ताव

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-30 16:09 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. पिछले साल हुई कम बारिश के कारण प्रदेश के 40 तहसीलों और 1245 राजस्व मंडलों में सूखे जैसी स्थिति बनी हुई है। साल 2018 के बाद इस साल राज्य का अधिकांश हिस्सा सूखे के चपेट में हैं। राज्य सरकार की ओर से सूखा प्रभावितों को टैंकर से पानी और पशुओं के लिए चारा उपलब्ध कराने का दावा किया जा रहा है। लेकिन सूखा प्रभावितों को मदद के लिए राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार को भेजे गए 2600 करोड़ रुपए की मदद मंजूर नहीं की गई है। केंद्र सरकार से महाराष्ट्र को मदद मिलने के आसार बहुत कम नजर आ रहे हैं।

गुरुवार को मंत्रालय के एक अधिकारी ने ‘दैनिक भास्कर' से बातचीत में बतायाकि राज्य में सूखे की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से 2600 करोड़ रुपए की मदद की मांग की थी। लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक मदद राशि उपलब्ध नहीं कराया है। संभवतः केंद्र सरकार की ओर से महाराष्ट्र को मदद निधि नहीं मिलेगी। क्योंकि नियमों के अनुसार यदि राज्य सरकार के पास राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) की राशि कम पड़ती है तो केंद्र सरकार मदद के लिए आगे आती है। लेकिन फिलहाल एसडीआरएफ की निधि पर्याप्त है।इसका इस्तेमाल राज्य सरकार कर रही है।

अधिकारी ने कहा कि राज्य के 3091 गांवों और 7947 बस्तियों में 3 हजार 782 टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है। जबकि पिछले साल इस समय पीने के पानी के लिए केवल 305 टैंकरों की जरूरत पड़ रही है। राज्य के 2997 जलाशयों में केवल 22.43 प्रतिशत पानी बचा हुआ है। इससे पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर सूखा प्रभावितों को मदद के लिए आचार संहिता में ढील देने की मांग की थी। लेकिन राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि नई लोकसभा के गठन तक आचार संहिता कायम रहेगी। फिलहाल आचार संहिता को शिथिल नहीं किया गया है। 

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