महाराष्ट्र: 3 हजार 24 स्कूलों में छात्राओं के लिए शौचालय नहीं, छात्र खुले में शौच को मजबूर

  • यूडायस के आंकड़ों से खुलासे
  • बाल अधिकार आयोग से शिकायत
  • 4504 स्कूलों के छात्र भी खुले में शौच को मजबूर

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-06 15:24 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के 7528 स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए स्वच्छता गृह उपलब्ध नहीं हैं। यूनाइटेड डिजिटल इंफर्मेशन ऑन स्कूल एजुकेशन (यूडायस) के साल 2021-22 के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में पहली से बारहवीं कक्षा तक के कुल 65 हजार 639 स्कूल हैं जिनमें से 4504 स्कूलों में लड़कों के लिए जबकि 3024 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय उपलब्ध नहीं है। सुराज्य निर्माण सेना की महिला अध्यक्ष पुष्टि भारद्वाज ने इस मामले की शिकायत बाल अधिकार संरक्षण आयोग से की है।

भारद्वाज ने कहा कि स्कूलों में शौचालय कितना जरूरी है शायद अब तक प्रशासन यह समझ नहीं पाया है। राज्य सरकार की महिला नीति 2014 में भी स्कूल में शौचालय न होने पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। इसके साथ महिला नीति में इस बात के भी निर्देश दिए गए हैं कि जनभागीदारी, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के जरिए स्वच्छतागृह के साथ सुथरे और इस्तेमाल योग्य रहने के प्रावधान किए जा सकते हैं।

समग्र शिक्षा अभियान के तहत स्कूलों को मिलने वाले अनुदान में भी स्वच्छता से जुड़े कार्यों के लिए 10 फीसदी निधी का प्रावधान किया जाता है। भारद्वाज ने कहा कि यह जरूरी है कि सभी स्कूलों और कनिष्ठ महाविद्यालयों को निर्देश दिए जाएं कि वे स्वच्छतागृह को लेकर लापरवाही न दिखाएं क्योंकि इसका सबसे बुरा असर लड़कियों की शिक्षा और सेहत पर पड़ेगा। स्कूल में शौचालय न होने पर लड़कियां स्कूल आना बंद कर सकती है।

साथ ही शौचालय साफ न हो तो लड़कियां उनका इस्तेमाल करने से कतराती हैं जिससे उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं होतीं हैं। चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई), पश्चिम के जनरल मैनेजर कुमार नीलेंदु ने कहा कि जमीनी स्तर पर काम करते हुए हमने पाया है कि जिन स्कूलों में शौचालय नहीं होता वहां खासकर छात्राएं नियमित रुप से नहीं आतीं। इसके अलावा लड़कियों के स्कूल छोड़ने का भी डर होता है। महिला साक्षरता बढ़ाना है तो सरकारी स्कूलों में अनिवार्य रूप से शौचालयों की व्यवस्था करनी होगी।



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