प्रस्ताव: महाराष्ट्र के 17 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में आईवीएफ सेंटर शुरू करने की तैयारी
- निःसंतान दंपतियों के लिए आशा की नई किरण
- आर्थिक मदद के लिए राज्य सरकार के पास भेजा प्रस्ताव
- देरी से विवाह व विभिन्न कारणों से संतान सुख से वंचित रह जाते हैं दंपति
मोफीद खान, मुंबई । राज्य में कई मध्यम वर्गीय और गरीब दंपति ऐसे है जो निःसंतान हैं। आर्थिक तंगी के कारण वे संतान सुख पाने के लिए आईवीएफ उपचार नहीं करा पाते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने अपने मेडिकल कॉलेजों में इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट सेंटर (आईवीएफ) शुरू करने का फैसला किया है। इसके अलावा ऐसे दंपतियों को आर्थिक मदद देने के लिए एक प्रस्ताव भी सरकार के पास भेजा गया है। इससे महात्मा ज्योतिबा फुले स्वास्थ्य बीमा योजना में आईवीएफ उपचार को शामिल किया जा सकेगा।
मौजूदा समय में ज्यादा उम्र में विवाह और विभिन्न बीमारियों के कारण कई दंपति संतान सुख से वंचित रह जाते हैं। हालांकि बच्चे का सुख पाने के लिए वे विभिन्न विकल्प अपनाते हैं। लेकिन इसके बाद भी कई के हिस्से निराशा ही रहती है। ऐसे दंपतियों के लिए आईवीएफ सेंटर एक वरदान है। लेकिन आईवीएफ सेंटर में इलाज और इसमें शामिल दवाओं का खर्च आम लोगों की पहुंच से बाहर है। इस इलाज को आम लोगों के दायरे में लाने के लिए राज्य सरकार अपने मेडिकल कॉलेजों में आईवीएफ सेंटर शुरू करने की तैयारी कर रही है।
मेडिकल कॉलेजों से मंगाया प्रस्ताव : राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अकोला, अंबाजोगाई, छत्रपति संभाजी नगर, चंद्रपुर, धुले, गोंदिया, जलगांव, कोल्हापुर, लातूर, मिरज, मुंबई, नागपुर, नांदेड, पुणे, सोलापुर, यवतमाल सहित 17 सरकारी मेडिकल कॉलेजों से आईवीएफ सेंटर शुरू करने का प्रस्ताव मंगाया है।
स्थान और मानव संसाधन की रिपोर्ट मांगी : चिकित्सा शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 17 मेडिकल कॉलेजों से आईवीएफ सेंटर शुरू करने के लिए लागत, उपलब्ध स्थान और आवश्यक मानव संसाधन सहित विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। कई मेडिकल कॉलेजों ने विस्तृत रिपोर्ट भेज दी है। इसलिए उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में मेडिकल कॉलेजों की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर फैसला हो जाएगा।
मिल सकती है आर्थिक मदद : राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि महात्मा ज्योतिबा फुले स्वास्थ्य बीमा योजना में सरोगेसी को शामिल करने के संबंध में एक बैठक आयोजित की गई थी। आम निःसंतान दंपति के घर में भी सरोगेसी के जरिए किलकारी गूंजे इस संबंध में एक प्रस्ताव भी तैयार किया गया है, जो मंजूरी के लिए राज्य सरकार को भेजा गया है।