निधन: आतंक भी कांपता था, जब विजय रमन संभालते थे कमान- हारे जिंदगी की जंग
- पानसिंह तोमर का खात्मा करनेवाला हार गया जिंदगी की जंग
- पूर्व आईपीएस विजय रमन का पुणे में निधन
- कैंसर से पीड़ित थे
डिजिटल डेस्क, मुंबई. जिनके नाम से आतंक भी कांपता था, वह पूर्व आईपीएस अधिकारी विजय रमन अपनी जिंदगी की जंग कैंसर से हार गए। विजय रमन वही अधिकारी हैं जिन्होंने बीहड़ों के बागी पान सिंह तोमर का खात्मा किया था। यही नहीं, उनके नाम संसद पर हमले के मुख्य सूत्रधार गाजी बाबा को मौत की नींद सुलाने का कारनामा भी दर्ज है। नक्सल निर्मूलन में उनका बड़ा योगदान रहा और फूलन देवी और मलखान सिंह जैसे दस्यु सरगना उनके नाम से कांपते थे।
विजय रमन सेवानिवृत्ति के पश्चात अपने बेटे के साथ पुणे में रहते थे। फरवरी में उन्हें लंग कैंसर होने का पता चला और 72 वर्ष की आयु में शुक्रवार को उनका निधन हो गया। पत्नी वीणा रमन ने मीडिया को बताया कि उनका इलाज चल रहा था। उन पर दवाइयों का अच्छा असर होने लगा था। लेकिन 18 सितंबर को उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी तो जुपीटर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। उनके स्वास्थ्य में सुधार होने पर आईसीयू से उन्हें वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया और जब हम उन्हें घर लाने का विचार कर रहे थे, उसी समय उनका निधन हो गया। शुक्रवार को बाणेर में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
आतंक का अंत यानी विजय रमन
विजय रमन 1975 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के जाबांज आईपीएस अधिकारी थे। उनके नाम आतंक के कई चेहरों को मिट्टी में मिलाने की ख्याति दर्ज है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में जब मलखान सिंह और फूलन देवी का आतंक चरम पर था, उस समय इन दस्युओं ने सरकार के सामने हथियार डालने के लिए जो शर्त रखी, वह जानने लायक है।
करेंगे समर्पण, पर विजय न हों!
विजय रमन वर्ष 1984 में भिंड के पुलिस अधीक्षक थे। उस समय डकैत सरगना मलखान सिंह और फूलन देवी की बड़ी दहशत थी। विजय रमन उस दहशत को जड़ से मिटाने के लिए हर मुमकिन कदम उठा रहे थे। डकैत मलखान सिंह और फूलन देवी को समर्पण के लिए अवसर दिए गए। उस समय इन दस्युओं ने एक शर्त रखी थी कि भिंड में पुलिस अधीक्षक पद से विजय रमन को हटाया जाए। सरकार ने विजय रमन का स्थानांतरण किया, तब दस्युओं ने हथियार डाले।
नौ घंटे मुठभेड़ और पान सिंह ढेर
पान सिंह तोमर मध्य प्रदेश के मुरैना का रहनेवाला था। वह 17 साल की आयु में राजपुताना राइफल्स में भर्ती हुआ और सात बार राष्ट्रीय स्टीपलचेज का चैंपियन बना। फौज से रिटायर होने पर मां की एक कसम ने उसे बागी बना दिया। अपनी मां के अपमान का बदला लेने के लिए पान सिंह तोमर ने गांव के दबंग के परिवार के चार लोगों को ढेर कर दिया। फिर वह बागी बनकर अपना गैंग चलाने लगा। उसके नाम से फूलन देवी और मलखान सिंह भी डरते थे। उस आतंक के खात्मे के लिए एसएसपी विजय रमन के नेतृत्व में टीम लगी। उसने नौ घंटे चली मुठभेड़ में पान सिंह तोमर को ढेर कर दिया।
हर जिम्मेदारी में दिलाई विजय
- एसपीजी में रहते हुए राजीव गांधी की सुरक्षा
- 2003 में संसद भवन हमले के मास्टरमाइंड गाजी बाबा को किया ढेर
- 2009 में नक्सल निर्मूलन ऑपरेशन का किया नेतृत्व
- 1981 में बागी पान सिंह तोमर का खात्मा
- 1984 में मलखान सिंह और फूलन देवी के समर्पण में निर्णायक भूमिका
महत्वपूर्ण विभागों में कार्य
- प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप में कार्य
- मध्य प्रदेश पुलिस में अधिकारी
- सीमा सुरक्षा बल में नेतृत्व
- केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में वरिष्ठ अधिकारी