मतदाता सूची बनाने के काम पर लगाए जाने से शिक्षक नाराज
- दूसरे विभागों के कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंपे चुनाव आयोग
- काम पर लगाए जाने से शिक्षक नाराज
- मतदाता सूची बनाने का काम
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई और आसपास के शहरों में महानगरपालिकाओं के चुनाव होने हैं। ऐसे में चुनाव आयोग मतदाता सूची अपडेट करने में जुटा है। मदद के लिए स्कूली शिक्षकों को भी चुनावी ड्यूटी पर बुलाया गया है। इससे शिक्षकों में भारी नाराजगी है। महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद ने इसका विरोध किया है। संगठन ने शिक्षकों को चुनावी ड्यूटी पर नहीं लगाने की मांग चुनाव आयोग से की है। संगठन ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर को पत्र लिखा है।
संगठन के अध्यक्ष सुहास हिर्लेकर ने कहा कि शिक्षकों को बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) की ड्यूटी लगाए जाने से स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई प्रभावित होगी। शिक्षकों पर छुट्टियों के समय भी नौवीं-दसवीं के विद्यार्थियों को पढ़ाने, अतिरिक्त क्लास लेने, छात्रवृत्ति के लिए कक्षाएं लेने, स्कूल न जाने वाले बच्चों को खोज कर दाखिला दिलाने जैसी जिम्मेदारियां हैं। मुंबई के 70 फीसदी शिक्षक उपनगरों में रहते हैं और उन्हें लंबा सफर करना पड़ता है। मुंबई और ग्रामीण इलाकों की भौगोलिक स्थिति अलग है। यहां शिक्षकों के लिए चुनावी ड्यूटी मुश्किल है। बता दें कि चुनाव आयोग की ओर से करीब डेढ़ सौ शिक्षकों को पत्र मिल चुका है और उन्हें स्कूल के काम के बाद और शनिवार-रविवार को मतदाता सूची तैयार करने का काम करने को कहा जा रहा है।
महाराष्ट्र राज्य शिक्षक परिषद के कार्यवाह शिवनाथ दराडे ने कहा कि अतिरिक्त शिक्षकों से पहले बीएलओ का काम लिया जा रहा था। लेकिन शैक्षणिक सत्र शुरु होने से पहले अतिरिक्त शिक्षकों को मनपा के स्कूलों में समाहित कर लिया गया। ऐसे में बच्चों को पढ़ाने वाले इन शिक्षकों को चुनाव आयोग के भी काम के लिए बुलाना उन पर अन्याय है। इसके अलावा शिक्षकों को भी छुट्टी का अधिकार है और उन्हें साप्ताहिक अवकाश या किसी और छुट्टी के दिन काम पर नहीं बुलाया जा सकता। दराडे ने कहा कि साल 2019 से स्कूली शिक्षा विभाग ने अपनी ओर से करीब 500 शिक्षकों को चुनाव आयोग के काम के लिए भेजा था इसलिए अब चुनाव आयोग को चाहिए कि वह अपने कामों के लिए दूसरे विभागों के कर्मचारियों का इस्तेमाल करे। वहीं मामले में संपर्क करने पर मुख्य चुनाव अधिकारी श्रीकांत देशपांडे ने कहा कि उन्हें शिक्षकों को इस तरह का पत्र भेजे जाने की जानकारी ही नहीं है।