मुंबई: 7148 बस्तियों में सूखे में जिंदगानी, जलाशयों में बचा सिर्फ 11.40 फीसदी पानी
- तीन साल तक हो सकती है जलापूर्ति
- इतना पानी वाष्पीकरण में उड़ा देती हैं सूरज की किरणें
डिजिटल डेस्क, मुंबई. प्रदेश के कई गांव और बस्तियां सूखे की चपेट में हैं। राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग के अनुसार कुल जल प्रकल्पों में मात्र 24.37 फीसदी और मुंबई को जलापूर्ति करनेवाले तालाबों में मात्र 11.40 फीसदी जल भंडार बचा है। ऐसे में एक आंकड़ा चौंकानेवाला सामने आया है। जिसमें प्रदेश की कुल जल परियोजनाओं से सालाना वाष्पीकरण के जरिए जितना पानी भाप बनकर उड़ा जाता है, उससे तीन साल तक जलापूर्ति की जा सकती है।
राज्य के जल लेखा परीक्षण द्वारा साल 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार सालाना 165 टीएमसी (अरब घनफुट) पानी वाष्पीकरण में उड़ जाता है। इससे अंदाजन 8.25 लाख हेक्टेयर खेतों की सिंचाई हो सकती है। तापमान बढ़ने के बाद वाष्पीकरण में तेजी आ जाती है। एक अंदाजे के अनुसार विदर्भ में सबसे ज्यादा 2.5 से 3 मीटर जल का वाष्पीकरण होता है, मराठवाडा में 2 से 2.75 मीटर, पश्चिम महाराष्ट्र में 1.5 से 1.75 मीटर और कोंकण क्षेत्र में 0.80 मीटर पानी हर साल वाष्पीकरण से उड़ जाता है।
सूखे की चपेट में राज्य
प्रदेश के जल संपदा विभाग द्वारा प्राप्त आंकड़ों को देखें तो 18 मई 2024 तक 2779 गांव और 7,148 बस्तियां सूखे की चपेट में हैं। यहां 3,455 टैंकर द्वारा जलापूर्ति की जा रही है। जबकि, साल 2023 में स्थिति इतनी खराब नहीं थी, जब सिर्फ 270 गांव, 639 बस्ती में 213 टैंकर से पानी आपूर्ति की जा रही थी।
पानी में सोलर पैनल की योजना
प्रदेश के तालाबों में तैरता सौर ऊर्जा पैनल लगाने की योजना बनी थी। जिससे बिजली की दर कम हो सकती है इसके साथ ही तालाब पर सीधी धूप पड़ने और गर्मी से पानी का वाष्पीकरण भी कम किया जा सकेगा। इसके लिए उजनी बांध का चयन किया गया था।