भीमा कोरेगांव हिंसा मामला: सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा से कहा- निगरानी खर्च का भुगतान करने से बच नहीं सकते

  • बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ एनआईए की अपील पर सुनवाई
  • निगरानी खर्च का भुगतान करने से बच नहीं सकते नवलखा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-09 14:42 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भीमा कोरेगांव के आरोपी गौतम नवलखा से कहा कि अगर घर में नजरबंदी की मांग की गई है तो राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा किए गए निगरानी खर्च का भुगतान करने के अपने दायित्व से बच नहीं सकते।

जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्‌टी की पीठ बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ एनआईए की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 2018 के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी नवलखा को जमानत दी गई थी। सुनवाई के दौरान एनआईए के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पीठ को बताया कि नवलखा पर एजेंसी का लगभग 1.64 करोड़ रुपए बकाया है।

इस पर पीठ ने यह टिप्पणी की कि अगर आपने (नवलखा) हाउस अरेस्ट मांगा है तो आपको इसका खर्च चुकाना होगा। कोर्ट ने कहा, आप अपने दायित्व से बच नहीं सकते हैं। नवलखा की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने भुगतान करने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन उन्हें आंकडों को लेकर सवाल है।

एजेंसी ने 1.64 करोड़ रुपए की गलत गणना की है। इसलिए एनआईए से मांग है कि वह खर्चों की नए सीरे से गणना करें। इससे असहमति जताते हुए एसवी राजू ने कहा कि हर बार वे यही कहते है।

अंतिम: पीठ ने यह स्पष्ट करते हुए मामले पर सुनवाई स्थगित कर दी कि वह अगली सुनवाई की तारीख पर एजेंसी द्वारा दायर की गई गणना और उसके संबंध में आपत्तियों की जांच करेगी। मामले में अब 19 अप्रैल को सुनवाई होगी।


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