अयोग्यता का मामला: सुप्रीम कोर्ट का महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश, एक में मामले के निपटारे की कार्यवाही करें शुरू
- विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा
- एक में मामले के निपटारे की कार्यवाही करें शुरू
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. शिवसेना शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता मामले का निपटारा करने में की जा रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष को कड़े शब्दों में निर्देश दिया है कि वह एक हफ्ते के भीतर मामले के निपटारे की कार्यवाही शुरू करें। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने ठाकरे गुट की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में कार्यवाही मई से लंबित है, इसमें अब कुछ हुआ ही नहीं है। यह अनिश्चित काल तक नहीं चल सकती। पीठ ने कहा कि इस न्यायालय के आदेश के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष को उचित समय के भीतर कार्यवाही पर निर्णय लेने की आवश्यकता है। हम संवैधानिक शक्ति का उपयोग करके जारी किए गए निर्देशों के प्रति सम्मान और गरिमा की अपेक्षा करते हैं। अब हम निर्देश देते है कि अध्यक्ष द्वारा एक समय सीमा निर्धारित करते हुए एक सप्ताह के भीतर इसके निपटारे की कार्यवाही शुरू करें। साथ ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मामले के निपटारे के लिए क्या समय सीमा निर्धारित की जा रही है, इस संबंध में अदालत को सूचित करेंगे।
शिंदे पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल और महेश जेठमलानी ने देरी के लिए उद्धव गुट को दोषी ठहराया और कहा कि वे समय पर दस्तावेज दाखिल करने में विफल रहे है। वहीं ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते 14 जुलाई 2023 को सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी कर दो हफ्तों में जवाब तलब किया था। जवाब जुलाई में दाखिल करना था, लेकिन जवाब सितंबर में दिया और अब दस्तावेजी कारणों का हवाला दिया जा रहा है। सिब्बल ने कहा कि जब 18 सितंबर को कोर्ट की तारीख आई तो उसके चार दिन पहले महज दिखावे के लिए अध्यक्ष ने मामले में सुनवाई रखी। सिब्बल ने कहा कि अध्यक्ष एक ट्रिब्यूनल की तरह काम कर रहे है, विधानसभा अध्यक्ष की तरह नहीं। उन्होंने पीठ से आग्रह किया कि इस संबंध में कोई निर्देश जारी किया जाए। कोर्ट ने इस मामले को अब दो हफ्ते बाद सुनवाई के लिए रखा है।