दापोली रिसॉर्ट मामला: ईडी द्वारा गिरफ्तार उप-विभागीय अधिकारी जयराम देशपांडे को अदालत से मिली जमानत
- दापोली में उप-विभागीय अधिकारी के रूप में भूमि के उपयोग को कृषि से गैर-कृषि में बदलने का आरोप
- मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में हुई थी कार्रवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट से शुक्रवार को दापोली रिसॉर्ट मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार उप-विभागीय अधिकारी जयराम देशपांडे को जमानत मिल गई। उन पर दापोली में उप-विभागीय अधिकारी के पद पर तैनात रहते के भूमि के उपयोग को कृषि से गैर-कृषि में बदल कर दापोली रिसार्ट को बनाने में मदद करने का आरोप है। न्यायमूर्ति एम.एस.कर्णिक की एकल खंडपीठ की समक्ष जयराम देशपांडे की जमानत याचिका की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील ए.पी.मुंदरगी ने दलील दी कि मनी लांड्रिंग में याचिकाकर्ता की कोई भूमिका नहीं है।
उस पर दापोली साईं रिसोर्ट के मुख्य आरोपी सदानंद कदम की मनी लांड्रिंग के मामले में सहयोग करने का आरोप है। पिछले महीने 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट से मुख्य आरोपी सदानंद कदम को जमानत मिल गई। ऐसे में याचिकाकर्ता को भी इस मामले में जमानत पाने का अधिकार है। याचिकाकर्ता के वकील की दलील को स्वीकार करते हुए पीठ ने उन्हें (देशपांडे) जमानत दे दी। पीठ ने जयराम देशपांडे को 1 लाख रुपए के निजी मुचलके और जांच में सहयोग करने की शर्तों पर जमानत दी है।
पिछले दिनों विशेष पीएमएलए अदालत ने रत्नागिरी जिले के दापोली में साईं रिसॉर्ट से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारी जयराम देशपांडे की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने इस मामले के मुख्य आरोपी शिवसेना (यूबीटी) नेता अनिल परब के मित्र सदानंद कदम को भी जमानत देने से इनकार कर दिया था। कदम को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी।
विशेष न्यायाधीश एम जी देशपांडे ने कहा था कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सामग्री है कि आरोपी ने कथित अधिनियम के प्रासंगिक समय में दापोली में उप-विभागीय अधिकारी के रूप में भूमि के उपयोग को कृषि से गैर-कृषि में बदलने की मंजूरी दी थी, जिस पर रिसॉर्ट बनाया गया था।
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