हाईकोर्ट: छात्र को मिली जमानत, 30 महीने से जेल में छात्र था बंद
- मकोका के तहत हुई थी गिरफ्तारी
- तिलक नगर पुलिस स्टेशन में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि आपराधिक गिरोह के प्रमुख के साथ अपराध में मौजूद है, तो यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता द्वारा संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य के रूप में गतिविधि की गई है। अदालत ने याचिकाकर्ता छात्र को जमानत दे दी। तिलक नगर पुलिस ने छात्र पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के अंतर्गत कार्रवाई की थी। पुलिस ने उसे हत्या के प्रयास के मामले में गिरफ्तार किया था। वह पिछले 30 महीने से जेल में बंद था।
न्यायमूर्ति एम.एस.कार्णिक की एकल पीठ के समक्ष वकील प्रशांत पांडे और वकील दिनेश जाधवानी की ओर से दायर 21 वर्षीय छात्र विनीत राजेंद्र गायकवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। वकील प्रशांत पांडे ने दलील दी कि याचिकाकर्ता का छात्रा है। वह 30 महीने से जेल में बंद है। इस मामले के अलावा उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामले दर्ज नहीं है। उसका संगठित अपराध सिंडिकेट से कोई लेना-देना नहीं है। 15/5/2021 तिलक नगर पुलिस स्टेशन के अंतर्गत 15 मई 2021 को एक युवक के साथ मारपीट हुई थी।
पुलिस ने याचिकाकर्ता समेत तीन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307, 326, 504, 506(2), 341, 201 और 34 के अंतर्गत मामला दर्ज किया। इस मामले के मुख्य आरोपी के खिलाफ 11 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिसके आधार पर पुलिस ने याचिकाकर्ता समेत तीनों आरोपियों के खिलाफ मकोका के तहत कार्रवाई की। याचिकाकर्ता छात्र उस दौरान मुख्य आरोपी के साथ घटनास्थल पर मौजूद था। इस मामले में आरोप पत्र दाखिल की जा चुकी है। याचिकाकर्ता के भागने की कोई संभावना नहीं है। पीठ ने याचिकाकर्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए उसे 50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दी।