सुप्रीम कोर्ट: महाराष्ट्र सरकार को राहत - सीवेज और ठोस कचरा कुप्रबंधन के लिए 12000 करोड़ के एनजीटी के जुर्माने के आदेश पर लगाई रोक
- एनजीटी के जुर्माने के आदेश पर लगाई रोक
- महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार को बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें अनुचित सॉलिड और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन) के लिए महाराष्ट्र सरकार पर 12000 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका था। देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला एवं जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर अपील पर नोटिस जारी किया और इस बीच एनजीटी द्वारा लगाए गए जूर्माने पर रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने अपने ने कई फैसलों के आधार पर एनजीटी ने पिछले साल 8 सितंबर 2022 को सॉलिड और सीवेज का उपचार संबंधी आदेशों की अवहेलना करने पर कुल 12000 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका था। इसमें 10,840.66 करोड़ रुपये प र्यावरणीय जुर्माना और प र्यावरण को पहुंचा गंभीर नुकसान जिसकी भरपाई न हो पाने के लिए 1200 करोड़ रुपये शामिल है। जुर्माने की राशि महाराष्ट्र सरकार को पर्यावरण की बहाली के लिए उस समय दो महीने के भीतर एक अलग रिंग-फेस्ट खाते में यह रकम जमा करने के निर्देश दिए, लेकिन सरकार इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची।
आज इस पर हुई सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि एनजीटी द्वारा महाराष्ट्र सरकार पर लगाए गए जुर्माने को लेकर समीक्षा याचिका एनजीटी में लंबित है। उन्होंने कहा कि जुर्माने की राशि में इतने शून्य है कि मैं जुर्माने में भी नहीं गिन सकता। उन्होंने कहा कि एनजीटी में समीक्षा याचिका लंबित है। इसके बाद कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए एनजीटी के फैसले पर रोक लगा दी।