बॉम्बे हाईकोर्ट: यौन उत्पीड़न का मामले में एमवीए के 24 अगस्त के राज्यव्यापी बंद पर रोक
- कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) एवं एनसीपी (शरद) को नोटिस जारी
- बदलापुर बच्चियों से यौन उत्पीड़न का मामला
- मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह), डीजीपी और जिला कलेक्टरों को न्यायालय के 2004 के फैसले का कड़ाए से पालन करने का निर्देश
- 9 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बदलापुर बच्चियों से यौन उत्पीड़न के मामले में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के 24 अगस्त को राज्यव्यापी बंद पर रोक दिया है। अदालत ने कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार-एनसीपी को नोटिस जारी किया और उन्हें 9 अक्टूबर को नोटिस का जवाब देने को कहा है। अदालत ने मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह), डीजीपी और जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया कि वे हाई कोर्ट के 2004 के फैसले में दिए गए निर्देशों को कड़ाई से लागू करें।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने शुक्रवार को वकील जयश्री पाटिल की ओर से वकील गुणरत्न सदावर्ते की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हम राजनीतिक दल या व्यक्ति को बंद का आह्वान करने से रोक रहे हैं। हम राज्य सरकार को न्यायमूर्ति बी.जी.देशमुख फैसले के अनुसार सभी कदम उठाने का निर्देश देते हैं। यह आदेश विपक्षी महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) द्वारा बदलापुर में दो नाबालिगों के साथ दुराचार की घटना के विरोध में 24 अगस्त को राज्यव्यापी बंद की घोषणा कुछ ही दिनों बाद आया है। पीठ ने राज्य सरकार को न्यायमूर्ति बी.जी.देशमुख अपने एक फैसले में आदेश दिया था कि किसी राजनीतिक दल, संगठन या संघ द्वारा बंद या हड़ताल करना असंवैधानिक कृत्य होगा।
याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने दलील दी कि राज्यव्यापी बंद से समूची राज्य मशीनरी पंगु हो जाएगी और आम लोगों को भारी असुविधा होगी। राज्य में पिछले बंद के कारण सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा गया था। बंद का असर स्कूलों पर पड़ेगा, जहां बच्चों को मीडे मील भोजन मिलता है। इसके अलावा बंद से समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को रोजी-रोजगार में कठिनाई होगी। याचिकाकर्ताओं के वकील ने बंद की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की जा चुकी है। हाई कोर्ट की समन्वय पीठ ने पहले ही मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है। यौन उत्पीड़न के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप लगभग दस घंटे तक ट्रेनें रोकी गईं और पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं।
ठाणे की एक दिहाड़ी मजदूर नंदाबाई सरजेराव मिसाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुभाष झा ने कहा कि हाल ही में राज्य ने देखा है कि आरक्षण की मांग करने वाले मराठा आंदोलनकारियों ने राज्य मशीनरी को कैसे पंगु बना दिया था। राज्य की अपनी राजनीतिक मजबूरियां हैं।
राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कहा कि वह कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी कदम उठा रहे हैं। सराफ ने कहा कि जहां तक बंद को अवैध घोषित करने की बात है, तो यह ऐसी चीज है, जिस पर अदालत विचार कर सकती है।
बदलापुर पुलिस ने आरोपी अक्षय शिंदे के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 65 (2) (बारह वर्ष से कम उम्र की लड़की से दुराचार), 74 ( आपराधिक बल का प्रयोग), 75 (यौन उत्पीड़न अपराध) और 76 (कपड़े उतारने के इरादे से हमला) के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया है।