पोषण अभियान कार्यक्रम के लिए राज्य सरकार अब देगी 40 प्रतिशत निधि

  • राज्य मंत्रिमंडल ने फैसले को दी मंजूरी
  • सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के पेंशन में बढ़ोतरी
  • सहकारी संस्था के अध्यादेश वापस लेने के लिए मंजूरी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-18 17:04 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार के पोषण अभियान कार्यक्रम पर 40 प्रतिशत निधि खर्च करना पड़ेगा। जबकि 60 प्रतिशत निधि केंद्र सरकार उपलब्ध कराएगी। शुक्रवार को राज्य मंत्रिमंडल ने पोषण अभियान कार्यक्रम के लिए राज्य का हिस्सा 40 प्रतिशत बढ़ाने को मंजूरी दी। इससे राज्य सरकार पर 153 करोड़ 98 लाख रुपए खर्च का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। महाराष्ट्र में आर्थिक वर्ष 2018-19 से केंद्र सरकार का पोषण अभियान दूसरा चरण लागू है। इसके तहत इस योजना के लिए केंद्र सरकार 80 प्रतिशत और राज्य सरकार 20 प्रतिशत निधि उपलब्ध कराती थी। लेकिन मंत्रिमंडल के फैसले के बाद अब केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकार 40 प्रतिशत निधि खर्च करेगी। पोषण अभियान के तहत 6 साल तक के बच्चों में कुपोषण के प्रमाण को कम करने का प्रयास किया जाता है। इसके लिए आंगनवाड़ी सेविकाओं को रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए मोबाइल फोन और सीमकार्ड उपलब्ध कराया जाता है।

सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के पेंशन में बढ़ोतरी

राज्य के दुय्यम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों को संशोधित पेंशन लागू करने का फैसला राज्य मंत्रिमंडल ने लिया है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग ने शिफारस की थी। इस सिफारिश को लागू करने के लिए बकाया 558 करोड़ 16 लाख रुपए और आवर्ती जमा (रिकरिंग डिपॉजिट) 79 करोड़ 73 लाख रुपए खर्च को मंजूरी दी गई है। न्यायिक अधिकारियों को 1 जनवरी 2016 से 31 जून 2023 तक 25 प्रतिशत बकाया राशि 31 अगस्त से पहले दिया जाएगा। जबकि बाकी 25 प्रतिशत राशि 31 अक्टूबर से पहले दिए जाएंगे। वहीं 50 प्रतिशत बकाया राशि 31 दिसंबर 2023 से पहले प्रदान किया जाएगा।

सहकारी संस्था के अध्यादेश वापस लेने के लिए मंजूरी

सहकारी संस्था अधिनियम में संशोधन के लिए 7 जून 2023 को जारी अध्यादेश को वापस लेने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। सरकार ने सहकारी संस्थाओं के क्रियाशील सदस्यों से संबंधित बिंदु को अधिनियम में हटाने के लिए 28 मार्च 2022 को राजपत्र प्रकाशित किया गया है। लेकिन सहकारी संस्थाओं पर इसका विपरित परिणाम हो रहा था। इसके मद्देनजर हटाए गए प्रावधान को 7 जून को दोबारा शामिल करने 7 जून 2023 को अध्यादेश जारी किया गया था। लेकिन दोबारा प्रावधान किए जाने से सहकारी संस्था और सदस्यों के बीच कानूनी खींचतान से विवाद पैदा होने की संभावना है। इसके मद्देनजर सरकार ने अध्यादेश को वापस लेने का फैसला लिया है।


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