अमरावती कोल्हे हत्याकांड: विशेष एनआईए अदालत ने आरोपी को जमानत देने से किया इनकार

  • आवेदक के अपराध की साजिश में शामिल दिखाने के लिए पर्याप्त सामग्री
  • अमरावती फार्मासिस्ट कोल्हे हत्याकांड मामला
  • अदालत की मामले में बड़ी टिप्पणी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-20 15:32 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने अमरावती फार्मासिस्ट उमेश कोल्हे हत्या के एक आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि आवेदक के अपराध की साजिश में शामिल होने के पर्याप्त सामग्री हैं। एनआईए ने इस मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया था।

विशेष न्यायाधीश राजेश कटारिया ने आदेश में कहा कि आरोपी मुशिफिक अहमद के खिलाफ अपराध की कथित साजिश में शामिल होने के संबंध में पर्याप्त सामग्री थी। अदालत ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के लगाए आरोपों और उसके द्वारा दाखिल आरोप पत्र की सामग्री को जोड़ते हुए कहा कि अपराध बहुत गंभीर प्रकृति का है। सामग्री की समग्रता को देखते हुए अपराध में आवेदक (आरोपी) की भूमिका है और यह दिखाने के लिए विशिष्ट आरोप और सामग्री हैं कि आवेदक अपराध की साजिश में शामिल था और सह-अभियुक्तओं की सहायता की थी।

न्यायाधीश कटारिया ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि अहमद के खिलाफ आरोप स्वाभाविक रूप से असंभव या पूरी तरह अविश्वसनीय हैं। अदालत ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि यह मानने के उचित आधार हैं कि आवेदक के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं। अहमद और मामले के एक अन्य आरोपी ने नूपुर शर्मा द्वारा की गई टिप्पणी पर चर्चा करने के लिए पिछले साल 9 जून को मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के साथ एक बैठक की थी।

अहमद ने जमानत की मांग करते हुए अपनी अर्जी में दावा किया कि उसे मामले में फंसाया गया है और उसने कथित अपराध में कोई भूमिका नहीं निभाई है। उन्होंने यह भी कहा कि वह एक स्थानीय मस्जिद के इमाम और एक सामाजिक कार्यकर्ता थे। एनआईए ने याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि अहमद मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था और उसने मामले में अन्य सह-आरोपियों की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

एनआईए का दावा है कि तब्लीगी जमात के कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने शर्मा के बयान का समर्थन करने के लिए कोल्हे की 21 जून 2022 को अमरावती में हत्या कर दी गई थी। एनआईए ने 2 जुलाई को गृह मंत्रालय के निर्देश पर आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश, हत्या, दुश्मनी को बढ़ावा देने, आतंकवादी कृत्य और आतंकवादी गिरोह का सदस्य होने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था।

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