बॉम्बे हाईकोर्ट: सोलापुर के किसान को मिला न्याय, मुआवजे की पूरी रकम चुकाने का आदेश
- किसान के मुआवजे की रकम कम करने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच के भी निर्देश
- संत तुकाराम महाराज पालखी महामार्ग के निर्माण में आया किसान का दो मंजिला घर
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट से सोलापुर के किसान कांतीलाल मिटकल को न्याय मिला। अदालत ने संत तुकाराम महाराज पालखी महामार्ग के निर्माण में किसान के दो मंजिला घर आने पर उसे मुआवजे की पूरी रकम चुकाने का आदेश दिया है। साथ ही अदालत ने किसान के मुआवजे की रकम कम करने वाले भूमि अधिग्रहण अधिकारी के खिलाफ जांच के निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति बी. पी. कोलाबावाला और न्यायमूर्ति एम.एम. सथाये की खंडपीठ के समक्ष किसान कांतिलाल दत्तात्रेय मिटकल की ओर से वकील यशोदीप देशमुख, वकील वैदेही प्रदीप और वकील विनोद सांगविकर की याचिका पर सुनवाई हुई।याचिकाकर्ता के वकील यशोदीप देशमुख ने अदालत में दलील दी कि संत तुकाराम महाराज पालखी महामार्ग के निर्माण में सोलापुर के मालशिरस स्थित मालिनगर गावं के 47 लोगों की भूमि और प्रापर्टी के साथ किसान कांतीलाला मिटकल का दो मंजिला घर आ गया है। 28 नवंबर 2018 को उन्होंने महामार्ग में आने वाले दो मंजिले घर के कागजातों का निरीक्षण और ग्राउंड सर्वे के आधार पर मुआवजा 1 करोड़ 73 लाख 84 हजार 792 रुपए तय किया गया था। जब उन्हें मुआवजे की रकम देना था, तो इससे पहले 6 दिसंबर 2021 को बिना किसी कारण बताए भूमि अधिग्रहण अधिकारियों ने किसान मिटकल के मुआवजे की रकम 86 लाख 41 हजार 274 रुपए कर दिया। उन्होंने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
अदालत ने पाया कि पीडब्ल्यूडी ने 28 अक्टूबर 2021 में पहले चरण में ही किसान के दो मंजिले घर का मूल्यांकन कर लिया था। सक्षम प्राधिकारी आप्पासाहेब समिंदर द्वारा पिछली साल 20 जून को आक्षेपित पत्र जारी किया, जिसमें किसान के मुआवजे की रकम कर दी गई थी। इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने इस साल 5 जुलाई को राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने को कहा था। सरकार ने अपने हलफनामा में माना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिनियम 1956 के तहत कोई प्रावधान नहीं है कि पहले से तय मुआवजे की राशि को कम किया जाए। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के तय किए गए मुआवजा की पूरी रकम देने और मुआवजा की रकम कम करने वाले अधिकारी के खिलाफ जांच का आदेश दिया है।