गर्मी की बढ़ती तपिश से बढ़ रहे हैं त्वचा रोगी, बच्चों पर भी दिख रहा असर

  • प्रदेश में इस वर्ष एक मार्च से अभी तक हीट स्ट्रोक की चपेट में 1477 लोग आए
  • सबसे अधिक मामले रायगढ़ में मिले हैं, 407 लोग हीट स्ट्रोक के शिकार हुए
  • वर्धा में 167, मुंबई उपनगर मेंं 155 और नंदुरबार में 113 मामले हीट स्ट्रोक के मिले

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-16 16:00 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई, वरिष्ठ संवाददाता। गर्मी का मौसम अपने साथ कई तरह की परेशानियां और स्वाोस्य्दि समस्यामएं लेकर आता है। दिन-ब-दिन बढ़ती गर्मी के कारण लोग लू की चपेट में तो आ ही रहे हैं, वहीं बच्चों से लेकर युवाओं को चर्म रोग भी होने लगे हैं। पसीना, फोड़े-फुंसियां, खाज-खुजली और फंगस जैसी बीमारियां सभी वर्गो को अपनी चपेट में ले रही हैं । पिछले कुछ दिनों में इन बीमारियों के मरीजों की संख्या में करीब 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

पसीना बन रहा परेशानी का सबब

हर साल तपिश भरी गर्मी से लोग पसीने से तर-बतर हो जाते है। इससे लोगों में त्वचा रोग की शिकायतें मिलने लगती हैं। नवजात शिशु और बच्चों की हालत और बुरी हो जाती है। इस वर्ष मुंबई में तापमान में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। अप्रैल की तरह मई में पारा 37 डिग्री तक पहुंच गया था। इस बढ़ते तापमान के कारण कई लोग हीट स्ट्रोक का शिकार हो चुके हैं। अप्रैल की शुरुआत से ही त्वचा संबंधी रोग- फोड़े-फुंसी, फंगल रोग, खुजली, रैशेज के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।

बच्चों में हीट रैशेज के लक्षण

डॉ. प्रवीन बानोडकर, बच्चों के त्वचा रोग विशेषज्ञ-एनएच एसआरसीसी अस्पताल के मुताबिक वयस्कों की तरह गर्मी में बच्चे भी अधिक प्रभावित होते हैं। तापमान और आर्द्रता के स्तर में वृद्धि के कारण हर हफ्ते बच्चों में हीट रैश के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बीते 15 दिनों में 30 से अधिक बच्चों में हीट रैशेज के मामले देखे गए हैं। लाल रंग के छोटे-छोटे दाने होना हीट रैशेज कहलाता है। ये स्किन के बड़े हिस्से को भी प्रभावित करते हैं।

डॉ. बेला वर्मा, बाल रोग विभाग प्रमुख- जेजे अस्पताल के मुताबिक ओपीडी में आनेवाले बच्चों में सप्ताह में हीट रैशेज के 7 से 8 मामले नजर आ रहे हैं। हालांकि गर्मी के दिनों में ये मामले बढ़ जाते हैं। ज्यादातर बच्चे त्वचा विभाग की ओपीडी में पाए जाते हैं।

बच्चें के इस तरह बचाएं

हीट रैशेज से बचाने के लिए बच्चों को सुबह और शाम को ठंडे पानी से नहलाएं।

बाहर से खेलकर आने के बाद बच्चोंम को जरूर नहलाना चाहिए।

तौलिए को ठंडे पानी में भिगोकर नवजात शिशु के रैश वाले हिस्से को साफ करें।

तंग-फिटिंग कपड़े पहनने से बचें।

खुजली को कम करने के लिए कैलामाइन लोशन या एंटीहिस्टामाइन क्रीम लगा सकते हैं।

अगर घमौरियां बनी रहती हैं या फैलती हैं, तो माता-पिता को डॉक्टर से चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए।

डॉ. विनायक सावरडेकर, चिकित्सा अधीक्षक-सेंट जॉर्ज अस्पताल के मुताबिक एक महीने में इन बीमारियों के मरीजों में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। भीषण गर्मी के कारण लोगों को काफी पसीना आता है। यह पसीना शरीर पर जमा होता है। यदि प्रतिदिन शरीर की सफाई न की जाए, तो चर्म रोग होने लगते हैं।


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