मिलेगा एकेडमिक क्रेडिट: रोजगार के लिए शिक्षा सहित कौशल विकास जरूरी, महाविद्यालयों में केंद्र बनाने का लक्ष्य
- 100 महाविद्यालयों में कौशल विकास केंद्रों की शुरुआत पर बोले उपमुख्यमंत्री फडणवीस
- अगले तीन महीनों में 1000 महाविद्यालयों में केंद्र शुरू करने का लक्ष्य
- कौशल विकास के लिए मिलेगा एकेडमिक क्रेडिट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। विश्व स्तर पर कुशल जनशक्ति की मांग बढ़ रही है, इसलिए जरूरी है कि युवक-युवतियों को शिक्षित करने के साथ उन्हें ऐसे गुर सिखाए जाएं जिनकी रोजगार के लिए जरूरत होती है। इसी मकसद के साथ विद्यार्थियों के लिए 100 आचार्य चाणक्य कौशल विकास केंद्र शुरू किए गए हैं। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कौशल विकास केंद्रों के ऑनलाइन उद्घाटन के मौके पर कहा कि अगले तीन महीने में राज्य के 1000 महाविद्यालयों में कौशल विकास केंद्र शुरू कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी किसी भी विषय में डिग्री ले रहे हों साथ में उन्हें कौशल विकास केंद्रों के जरिए प्रशिक्षण जरूर लेना चाहिए। इससे रोजगार की संभावना बढ़ जाएगी।
उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई शिक्षा नीति लाए हैं, जिसके कार्यान्वयन से देश में व्यापक बदलाव आएंगे। राज्य की भी अर्थव्यवस्था मजबूत करने के लिए मानव संसाधन विकास पर जोर दिया जा रहा है। इस मौके पर कौशल, रोजगार, उद्यमिता और नवाचार मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने कहा कि इन कौशल विकास केंद्रों का मकसद विद्यार्थियों को रोजगार के लिए जरूरी कौशल प्रदान करना है। पहले चरण में 3500 महाविद्यालयों में से 100 का चयन किया गया है, लेकिन धीरे-धीरे सभी महाविद्यालयों में कौशल विकास केंद्र खोल दिए जाएंगे।
कौशल विकास के लिए मिलेगा एकेडमिक क्रेडिट
मंत्री लोढ़ा ने बताया कि हर कौशल विकास केंद्र में 150 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। फिलहाल राज्य में कम से कम 20 हजार युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण देने की कोशिश है। इसके लिए अलग-अलग पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए जाएंगे। विद्यार्थियों को कौशल विकास केंद्रों से प्रशिक्षण के लिए दो फीसदी का एकेडमिक क्रेडिट भी दिया जाएगा, जिसका उन्हें भविष्य में फायदा होगा। उपमुख्यमंत्री फडणवीस के सरकारी निवास ‘मेघदूत’ से ऑनलाइन कौशल विकास केंद्रों का उद्घाटन किया गया। इस दौरान महाराष्ट्र राज्य कौशल विकास सोसायटी की आयुक्त निधि चौधरी व अतिरिक्त आयुक्त अनिल सोनवणे के साथ महाविद्यालयों के प्राचार्य और विद्यार्थी भी ऑनलाइन जुड़े हुए थे।