बॉम्बे हाई कोर्ट से शिवसेना (उद्धव गुट) के विधायक रवींद्र वायकर को झटका
होटल की अनुमति रद्द करने के बीएमसी आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट से शिवसेना के उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट के विधायक रवींद्र वायकर को बड़ा झटका लगा है। अदालत ने वायकर समेत चार अन्य को मुंबई में लक्जरी होटल की अनुमति रद्द करने के बीएमसी आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है।
न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की खंडपीठ के समक्ष रवींद्र वायकर की ओर से वकील जोएल कार्लोस की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। खंडपीठ ने अपने देश में कहा कि हमने पाया है कि वर्तमान याचिका में उठाए गए निर्णय को लेने में बीएमसी की ओर से कोई दुर्भावना या कोई चूक नहीं है। हालांकि अदालत ने अपने आदेश पर चार सप्ताह के लिए रोक लगा दी, जिससे वायकर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौैती दे सकें।
याचिका में दावा किया था कि 2004 में उन्होंने बीएमसी और 8000 वर्ग मीटर भूमि के मालिकों के साथ 67 फीसदी क्षेत्र को आरक्षण के तहत खुला रखने के लिए समझौता किया था और शेष भूमि को विकसित करने की अनुमति दी गई थी। बीएमसी ने साल 2021 में वायकर और अन्य याचिकाकर्ताओं को भूमि के विकास की अनुमति दी और बाद में उन्हें प्रारंभ प्रमाणपत्र भी जारी किया गया। बीएमसी के कानून अधिकारियों ने पिछले साल उनसे सत्यापन के लिए दस्तावेज जमा करने के लिए कहा था। इसमें कहा गया था कि 15 जून 2023 को उन्हें दी गई अनुमति रद्द कर दी गई है.
याचिकाकर्ता के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता एस्पी चिनॉय ने दावा किया था कि बीएमसी द्वारा भाजपा नेता किरीट सोमैया की जिस शिकायत पत्र को खारिज कर दिया गया था, तीन महीने बाद ही उसी शिकायत पत्र का हवाला देकर दस्तावेजों के पुन: प्रमाणीकरण की मांग की गई थी। बीएमसी ने बदले की भावना से कार्रवाई किया। बीएमसी के वरिष्ठ वकील मिलिंद साठे ने दलील दी कि भौतिक तथ्यों को छिपाने के बावजूद फरवरी 2021 में वायकर को विकासात्मक अनुमति दी गई थी। भूखंड का आरक्षण डीपी 1991 नीति के अनुसार पहले ही पूरा हो चुका था