कीर्ति व्यास हत्या मामला: सेशन कोर्ट ने दो दोषी सहकर्मियों को सुनवाई उम्रकैद की सजा, खुशी फूट-फूट कर रोईं

  • 6 साल बाद भी नहीं मिला कीर्ति व्यास का शव
  • दोषी खुशी सहजवानी अदालत में बुरी तरह रोईं

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-28 15:04 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सेशन कोर्ट ने मंगलवार को अंधेरी में बी-ब्लंट सैलून के फाइनेंस मैनेजर कीर्ति व्यास की 2018 में हुई हत्या के मामले में दोषी सिद्धेश तम्हाणकर और खुशी सहजवानी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने एक दिन पहले ही दोनों आरोपियों को दोषी करार दिया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एम.जी.देशपांडे ने दोषी सिद्धेश ताम्हणकर और खुशी सहजवानी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के मामले में कठोर उम्रकैद की सजा सुनाई। न्यायाधीश एम.जी.देशपांडे ने दोनों दोषियों से पूछा कि वे सजा सुनाए जाने से पहले वे कुछ कहना चाहते हैं, दोषी खुशी सहजवानी ने फुट-फुट कर रोते हुए कहा कि सर पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है। मेरी कार से कोई सबूत नहीं मिला। मैं निर्देश हूं। जबकि दोषी सिद्धेश ताम्हणकर ने कहा कि उसे कम से कम सजा दी जाए।

दोनों दोषियों के वकील प्रियतोष तिवारी और वकील गौरव भावनानी ने अदालत से कहा कि उन्हें (दोषियों) मौत और आजीवन कारावास से कम सजा दी जानी चाहिए। सरकारी वकील अवधुत चिमलकर ने कहा कि यह एक सुनियोजित हत्या है। वह (कीर्ति) पूरे परिवार की एकमात्र घर चलाने वाली थी। माता-पिता और छोटी बहन की पूरी जिम्मेदारी कीर्ति पर ही थी। दोषियों को सजा के साथ कीर्ति परिवार को कंपनसेशन भी मिलना चाहिए।

ग्रांट रोड की रहने वाली कीर्ति व्यास 16 मार्च 2018 में लापता हो गई थी। जब वह अपने ऑफिस नहीं पहुंची और उसके दोनों फोन बंद पाए गए, तो उसकी बहन शेफाली ने डी.बी.मार्ग पुलिस स्टेशन में उसके मशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। एक महीने बाद पुलिस ने हत्या के आरोप में तम्हणकर और सहजवानी को गिरफ्तार किया था।

सिद्धेश तम्हणकर और खुशी सहजवानी दोनों ही सैलून की अंधेरी (पश्चिम) के बी-ब्लंट चेन सलून में कर्मचारी थे। वहां कीर्ति व्यास वित्त प्रबंधक के रूप में काम करती थी। तम्हणकर अकाउंट एग्जीक्यूटिव के रूप में काम करता था और सहजवानी सैलून में अकादमी प्रबंधक थी। ताम्हणकर पूरी कार्यवाही के दौरान हिरासत में रहे, जबकि सहजवानी को जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी।


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