महाराष्ट्र: नियंत्रित है स्क्रब टाइफस, बीते साल के मुकाबले इस साल मरीजों की संख्या में भारी गिरावट

  • किसानों और बागबानों पर बना रहता है खतरा
  • नियंत्रित है स्क्रब टाइफस

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-20 00:30 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। हिमाचल प्रदेश में स्क्रब टाइफस के मामले भले ही तेजी से बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। लेकिन प्रदेश में इसका प्रकोप कम है। पिछले साल के मुकाबले प्रदेश में स्क्रब टाइफस के मामले कम ही दिखाई दे रहे हैं। बीते वर्ष प्रदेश में रोजाना औसतन स्क्रब टाइफस के एक मरीज मिल रहे थे जबकि इस वर्ष महीने में औसतन दो मरीज मिल रहे है।

स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रताप सिंह सार्णिकर ने बताया कि स्क्रब टाइफस के संक्रमण के ज्यादातर मामले चीन, भारत, जापान, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, साउथ ईस्ट एशिया में ज्यादा देखने को मिलते हैं। इस बार हिमाचल में इसका प्रकोप ज्यादा देखा जा रहा है। बीते वर्ष राज्य में भी इसके मामले अधिक पाए गए थे। इस बार यह नियंत्रित में है।

क्या है स्क्रब टाइफस

स्क्रब टाइफस खेतों, झाड़ियों में रहने वाले चूहों में पाया जाने वाला चिगर्सकीट के काटने से लोगों में फैलता है। इससे कोई भी संक्रमित हो सकता है। लेकिन, खेतों में पाए जाने वाले इस कीट के कारण अधिकतर झाड़ियों और खेतों में काम करने वाले किसानों और बागवानों में इसके संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है।

क्या है लक्षण

कीटाणु जहां काटता है वहां एक छोटा सा अल्सर हो जाता है। इसके साथ ही इससे संक्रमित व्यक्ति को बुखार आने के साथ ठंड लगती है। इसके साथ ही सिरदर्द और बदन दर्द के साथ मांसपेशियों में भी तेजी से दर्द होता है। अधिक संक्रमण होने पर हाथ पैरों और गर्दन के साथ कूल्हें के नीचे गिल्टियां होने लगती हैं।

परीक्षण

इसका परीक्षण रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट या एलिसा के माध्यम से किया जाता है। बेल-फेलिक्स का भी प्रयोग इसके परीक्षण के लिए किया जाता है।

बचाव

-नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का प्रयोग

- झाड़ियों में काम करते समय पूरे शरीर को ढाक कर रखे

- कपड़ों, बिस्तरों पर कीटनाशकों का उपयोग करें

- खुले में शौच से बचना चाहिए।

- झाड़ी में काम करने के बाद कपड़ों को गर्म पानी में भिगोकर धोना चाहिए।

स्क्रबटाइफ़ की वर्तमान स्थिति

वर्ष     मरीज  मौत

2020-  7      - 1

2021-  5       -1

2022- 307   - 2

Tags:    

Similar News