बॉम्बे हाईकोर्ट: लोगों को स्वच्छ वातावरण देने के मौलिक अधिकार के लिए मजदूरों के अधिकार ताक पर नहीं रख सकते
- बीएमसी की याचिका खारिज
- अदालत ने बीएमसी को 580 मजदूरों को स्थायी करने का दिया निर्देश
- मजदूरों के मौलिक अधिकार को ताक पर नहीं रख सकते
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट का कहा कि नागरिकों को स्वच्छ वातावरण के मौलिक अधिकार के लिए मजदूरों के मौलिक अधिकार को ताक पर नहीं रख सकते हैं। अदालत ने मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को अपने 580 कर्मचारियों को स्थायी करने और उन्हें सभी लाभ देने का भी निर्देश दिया। न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की एकलपीठ ने बीएमसी की याचिका पर अपने फैसले में कहा कि एक कल्याणकारी राज्य में स्वच्छता का लक्ष्य पूरा करने के लिए मजदूरों के मौलिक अधिकार और गरिमा से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। इसे मजदूरों की कथित गुलामी की कीमत पर हासिल नहीं किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि मजदूरों को मल मूत्र, सड़ते जानवरों को मैन्युअल रूप से हटाना पड़ता है। उन्हें कचरा और सड़ते शवों को ले जाने वाले ट्रकों पर चलना पड़ता है। किसी को शोषण की शिकायत करने के लिए वर्षों तक ऐसे अमानवीय स्थिति से गुजरना नहीं पड़ता है। पीठ ने कहा कि नागरिकों को स्वच्छ वातावरण देने के मौलिक अधिकार को मजदूरों के मौलिक अधिकारों की बुनियादी पर हासिल नहीं किया जा सकता है।
बीएमसी ने अपनी याचिका में औद्योगिक न्यायाधिकरण द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें 580 अस्थायी मजदूरों के लिए स्थाई करने का निर्देश दिया गया था। पीठ ने बीएमसी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द करना न्याय का मजाक होगा। पीठ ने बीएमसी को अपने 580 अस्थाई मजदूरों को स्थाई करने और उन्हें सभी लाभ देने का निर्देश दिया। ट्रिब्यूनल ने बीएमसी को 580 अस्थाई मजदूरों को स्थाई करने और उन्हें सभी लाभ देने का निर्देश दिया था।
कचरा वाहतुक श्रमिक संघ ने बीएमसी से अपने 580 अस्थाई सदस्यों को स्थायी मजदूर बनाने की मांग की थी। यह मजदूर सार्वजनिक सड़कों की सफाई और कचरा उठा कर ले जाने का काम करते हैं। श्रमिक संघ ने दावा किया था कि ये 580 मजदूर समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्ग से हैं। उनकी पहुंच में न्यूनतम सुविधाएं भी नहीं है। यह मजदूर चिकित्सा और स्वास्थ्य बीमा जैसे बुनियादी लाभ के बिना साल 1996 से बीएमसी में काम कर रहे हैं।
इनमें से कई मजदूर कचरा उठाते समय ड्यूटी पर घायल हो जाते हैं, बीमार पड़ जाते हैं और बिना किसी लाभ के उन्हें अपनी देखभाल के लिए छोड़ दिया जाता है। बीएमसी के स्थाई मजदूरों को सभी सुविधाएं और कार्यकाल की सुरक्षा दी जाती है, लेकिन 580 मजदूरों की स्थिति दयनीय है। पीठ ने कहा कि जिस तरह से इन मजदूरों को रहना और काम करना पड़ता है। वह मानवीय गरिमा का सबसे निचला पायदान है