शिंदे सरकार के गले की हड्डी बन रहा आरक्षण

  • मराठा के बाद ओबीसी समाज की नाराजगी से भाजपा के नेता चिंतित
  • लाठीचार्ज से बिगड़ी बात

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-10 00:30 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई, अमित कुमार । मराठा समाज के लोगों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने की मांग को लेकर जालना में मनोज जरांगे पाटील की ओर से शुरु अनशन के कारण राज्य में एक बार फिर से आरक्षण की आग भड़क गई है। इससे सत्तारूढ़ भाजपा के कुछ मंत्रियों को ओबीसी वोट छिटकने का डर है। साथ ही भाजपा के खिलाफ मराठा समाज के भीतर रोष पैदा हो रहा है। जरांगे पाटील के मराठों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने की मांग से समाज का एक बड़ा तबका अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नाराज हो गया है।

दरअसल, भाजपा के कुछ मंत्रियों का मानना है कि जरांगे पाटील के आंदोलन को सरकार के स्तर पर ठीक ढंग से संभाला नहीं जा सका है। इससे जरांगे पाटील का अनशन लंबा खींचता जा रहा है। भाजपा के मराठवाड़ा से आने वाले एक मंत्री ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में कहा कि जरांगे पाटील के अनशन के कारण पार्टी को निश्चित रूप से नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि मराठा समाज के बीच यह संदेश जाना चाहिए था कि सरकार मराठा आरक्षण के लिए गंभीरता से प्रयास कर रही है। मंत्री ने कहा कि जालना में लाठीजार्च की घटना के कारण भाजपा के खिलाफ मराठा समाज में नाराजगी फैल गई है। मराठवाड़ा में वंशावली दस्तावेज के आधार पर मराठों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने के शासनादेश के कारण ओबीसी भी नाराज हो गए हैं। इससे सरकार के सामने दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है। ओबीसी समाज की नाराजगी आगामी चुनाव में भाजपा को भारी पड़ सकती है। मंत्री ने कहा कि जरांगे पाटील बार-बार अपनी भूमिका बदल रहे हैं। उन्होंने पहले मराठवाड़ा के मराठों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने की मांग की थी। अब वे पूरे राज्य के मराठा समाज के लोगों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र देने की मांग कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि वे अपनी मांग को लेकर भ्रम की स्थिति में हैं।

लाठीचार्ज से बिगड़ी बात

वहीं भाजपा के उत्तर महाराष्ट्र के एक मंत्री ने कहा कि जालना में आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज कराने की कोई जरूरत नहीं थी। लाठीचार्ज के कारण ही आंदोलन को बड़ा रूप मिल गया। इसकी वजह से अब राज्य स्तर पर मराठा समाज के लोगों का आंदोलन को समर्थन मिल रहा है। दूसरी ओर धनगर आरक्षण के लिए भी आंदोलन शुरू हो गया है। जबकि महाविकास आघाड़ी सरकार के समय 5 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को रद्द कर दिया था। उस समय तत्कालीन सरकार के खिलाफ मराठा समाज के लोगों में नाराजगी देखने को मिली थी। राज्य के कई जगहों पर आंदोलन भी हुए थे। लेकिन मराठा आरक्षण आंदोलन इतने बड़े पैमाने पर नहीं भड़का था।


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