बॉम्बे हाईकोर्ट: केवल लंबे समय तक नौकरी के आधार पर नियमितीकरण का दावा नहीं किया जा सकता

  • औद्योगिक न्यायालय ने नगर परिषद को प्रतिवादी को कर निरीक्षक के रूप में नियमित करने और उसे सभी परिणामी लाभ प्रदान करने का दिया था निर्देश
  • पेण नगर परिषद की औद्योगिक न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

Bhaskar Hindi
Update: 2024-06-09 15:39 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि केवल लंबे समय तक नौकरी जारी रखने के आधार पर सेवाओं के नियमितीकरण का दावा नहीं किया जा सकता है। इससे नियमितीकरण का कोई अधिकार नहीं बनता है। औद्योगिक न्यायालय ने पेण नगर परिषद को प्रतिवादी को कर निरीक्षक के रूप में नियमित करने और उसे सभी लाभ प्रदान करने का निर्देश दिया था। अदालत ने नगर परिषद के 7 मार्च 2009 के औद्योगिक न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति संदीप वी. मार्ने की एकल पीठ ने पेण नगर परिषद के मुख्य अधिकारी की दायर याचिका को खारिज कर दिया। पीठ ने माना कि नगर परिषद द्वारा औद्योगिक न्यायालय के समक्ष उठाए गए बचाव स्पष्ट रूप से झूठे थे और उनके द्वारा औद्योगिक न्यायालय से भौतिक जानकारी छिपाई गई थी। नगर परिषद ने इस तथ्य को दबा दिया कि उसने कर निरीक्षक के पद को सीधी भर्ती द्वारा भरने के लिए अन्य वरिष्ठ क्लर्कों से कोई आपत्ति प्राप्त नहीं की थी। यह तथ्य 24 जून 2003 के आम सभा के प्रस्ताव के साथ-साथ नगर परिषद प्रशासन के क्षेत्रीय निदेशक के 20 अक्टूबर 2006 के पत्र दोनों से सिद्ध होता है।

पेण नगर परिषद (याचिकाकर्ता) ने सेवा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 4 दिसंबर 1997 को शेखर बी.अभंग (प्रतिवादी) को क्लर्क के रूप में नियुक्त किया था। 1998 में प्रतिवादी तीन अन्य क्लर्कों के साथ मिलकर नौकरी से निकाले जाने के डर से ठाणे के औद्योगिक न्यायालय में शिकायत दर्ज कराई। न्यायालय ने 6 सितंबर 2001 को उनके पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे उनकी सेवा की समाप्ति रुक गई। न्यायालय ने प्रतिवादी को क्लर्क के रूप में काम जारी रखने की अनुमति दे दी। 30 जुलाई 2003 को प्रतिवादी को अस्थायी आधार पर कर निरीक्षक के रूप में नियुक्त कर दिया गया।

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